राज्यसभा से भी पारित हुआ अपराधियों की पहचान की प्रक्रिया से जुड़ा बिल, अमित शाह बोले- मानवाधिकार कभी एकतरफा नहीं हो सकता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्तमान दौर में पुराना कानून पर्याप्त नहीं है, इसलिए विधि आयोग की ओर से इसकी सिफारिश की गई थी.

विपक्ष के विरोध के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यसभा से भी सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल यानी आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पेश पास करवा लिया. कांग्रेस ने इस बिल को असंवैधानिक बताया. दंड प्रक्रिया (शनाख्त) विधेयक, 2022 को सेलेक्ट कमेटी भेजे जाने संबंधी विपक्ष के प्रस्ताव पर राज्यसभा में वोटिंग हुई. हालांकि, विपक्ष इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने के मामले में सफल नहीं हो पाया.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्तमान दौर में पुराना कानून पर्याप्त नहीं है, इसलिए विधि आयोग की ओर से इसकी सिफारिश की गई थी. बिल पेश करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि मैं आज इस विधेयक को लेकर आया हूं, जिसे 4 तारीख को लोकसभा ने पारित किया था.
'स्वतंत्रता का उपयोग दूसरे के स्वतंत्रता का हनन करके नहीं होना चाहिए'
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा, "बिल लाने का मकसद एक ही कानून व्यवस्था का राज स्थापित किया जाए. मानवाधिकार कभी एकतरफा नहीं हो सकता है. स्वतंत्रता का उपयोग दूसरे के स्वतंत्रता का हनन करके नहीं होना चाहिए. जो लोग कानून के भरोसे अपना जीवन जीना चाहते हैं, उनके लिए कानून चाहिए. कोई भी सरकार बनती है. विधी से स्थापित होती है. सरकार कोई पार्टी नहीं बनाती है. सरकार संविधान से है. सरकार के हर एक मंशा पर शंका नहीं करना चाहिए."
उन्होंने कहा, "केरल में बीजेपी के 100 कार्यकर्ता की हत्या हुई है, इसके लिए जिम्मेदार कौन है. राजनीति करना है, तो मेरे साथ बंगाल में कर लेना. इस बिल से किसी के निजता का हनन नहीं होगा. कोई डेटा का गलत इस्तेमाल नहीं होगा."
अपराध के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के शरीर का नाप लिया जा सकेगा
बिल में प्रावधान किया गया है कि किसी सज़ायाफ्ता या किसी अपराध के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के शरीर का नाप लिया जा सकेगा. नाप में व्यक्ति का फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट, आंखों की आयरिश का नमूना, उसकी तस्वीर, जैविक सैंपल जैसे खून का नमूना, उसके हस्ताक्षर आदि शामिल होगा. मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ये नमूने लिए जा सकेंगे.
नमूने से हासिल डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की होगी
किसी पुलिस स्टेशन का थानाध्यक्ष या हेड कांस्टेबल और जेल के हेड वार्डर से ऊपर रैंक का पुलिस अफसर नमूना ले सकेगा. नमूने से हासिल हुए आंकड़ों या डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की होगी. 75 सालों तक इन आंकड़ों को सुरक्षित रखा जा सकेगा, जिसके बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा. हालांकि, सजा पूरी होने या कोर्ट से बरी होने की स्थिति में डेटा को पहले भी खत्म किया जा सकेगा. नया बिल 1920 के Identification of Prisoners Act को ख़त्म कर नया कानून बनाने के लिए पास कराया गया है.
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Source: IOCL























