आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, कांग्रेस बोली- SC में पुनर्विचार याचिका दायर करे केंद्र, LJP संसद में देगी तूल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को लेकर केंद्र पुनर्विचार याचिका दायर करे. साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएगी.

नई दिल्ली: प्रमोशन में आरक्षण का मसला एक बार फिर तूल पकड़ सकता है. सोमवार को संसद में कांग्रेस और रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी इस मुद्दे को उठा सकती है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर केन्द्र सरकार या तो पुनर्विचार याचिका दायर करे, या फिर आरक्षण को मूल अधिकार बनाने के लिए संविधान में संशोधन करे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएगी.
खड़गे ने कहा, ‘‘कम से कम अब भारत सरकार को जागना चाहिए. वे या तो विधि विभाग से सलाह करके संविधान के अनुच्छेद 16(4)(बी) और (सी) में संशोधन कर सकते हैं या फिर पुनर्विचार याचिका दायर कर मामले की सुनवाई संविधान पीठ द्वारा कराए जाने का अनुरोध कर सकते हैं.’’
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकारें नियुक्ति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं और पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने का कोई मूल अधिकार नहीं है.
शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार की पांच सितंबर, 2012 के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी, एसटी) को आरक्षण दिए बगैर ही सरकारी नौकरियों में रिक्तियां भरने का आदेश दिया था.
नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं- सुप्रीम कोर्ट
कांग्रेस नेता का दावा है कि संविधान से जुड़े इस मामले की सुनवाई दो सदस्यीय पीठ द्वारा नहीं की जानी चाहिए थी. इसकी सुनवाई पूर्ण (संविधान) पीठ द्वारा की जानी चाहिए थी.
कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम सम्मानपूर्वक कहते हैं कि हम इस निर्णय से सहमत नहीं हैं...बीजेपी सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकार सुरक्षित नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी का मानना है कि सरकारी पदों पर एससी/एसटी समुदाय के लोगों की नियुक्ति सरकारों के विवेकाधिकार पर नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार है.’’
यही नहीं सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख चिराग पासवान ने भी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की मांग की. कोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए पासवान ने मांग की है कि सरकार कोर्ट के फैसले को पलटकर आरक्षण की व्यवस्था पहले की तरह ही बरकरार रखे.
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