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Bulldozer Action: यूपी सरकार में जमकर चल रहा बुलडोजर, क्या हैं इससे जुड़े नियम, जानें पूरी डिटेल

Buldozer Action In UP: उत्तर प्रदेश में बुल्डोजर की चर्चा जारी है. जानते हैं बुलडोजर चलाने के नियम, कहां-कहां हो सकती है बुलडोजर की कार्रवाई.

संजय त्रिपाठी/ मोहम्मद मोईन: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बुल्डोजर (Buldozer)  की चर्चा जारी है. इसके कहर बरपाने का सबसे ताज़ा नमूना प्रयागराज (Prayagraj) में देखने को मिला, जहां जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के आरोपी जावेद मोहम्मद (Jawed Mohommad) के मकान को जमींदोज कर दिया गया. वजह बताई गई मकान का नक्शा पास न होना. एक लिहाज़ से यह बिल्कुल ठीक भी है कि जिस मकान का नक्शा पास न हो या फिर किसी ने इसे नक्शे के इतर बना लिया हो, उस पर सख्त कार्रवाई होनी भी चाहिए, जिससे ऐसा काम करने की मंशा वालों को कड़ा संदेश जाए. मगर क्या प्रयागराज में जावेद मोहम्मद का ही मकान बिना नक्शे के बना था या फिर बतौर कार्रवाई उसे गिराने का ही विकल्प था? ऐसे कई सवाल अब उठ रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों के अधीन बनने वाली इमारतों के निर्माण पर निगरानी और कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एन्ड डेवेलपमेंट एक्ट 1973 बनाया गया है. प्रदेश भर में यह व्यवस्था है कि कोई भी मकान बनाना है और यदि वह विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आता है तो उसका नक्शा पास कराना जरूरी है. इसके लिए जब कोई नक्शा प्राधिकरण में दाखिल किया जाता है, तो यह देखा जाता है कि वो लैंड यूज के हिसाब से पास होने के योग्य है भी या नहीं. यानी कि आवासीय मकान का नक्शा कहीं व्यावसायिक क्षेत्र के लिए दाखिल तो नहीं दिया गया है, या फिर ग्रीन बेल्ट पर किसी प्रकार के निर्माण के लिए कहीं नक्शा तो नहीं जमा किया गया है. यह सब देखने के बाद अगर नक्शा ठीक है तो उसे निर्धारित फीस लेकर पास कर दिया जाएगा. अगर कहीं कोई कमी है तो प्राधिकरण नक्शे की कमियां बतायेगा और उसे दुरुस्त करके जमा करने को कहा जायेगा. सब ठीक करने के बाद नक्शा पास किया जाता है. 

नक्शे की होती है निगरानी

बात यहीं खत्म नहीं हो जाती. इसके बाद लगातार इस बात की निगरानी की जाती है कि निर्माण कहीं नक्शे से इतर तो नहीं किया जा रहा है. इसमें सेटबैक यानी होने वाले निर्माण के चारों ओर छोड़ी जाने वाली जगह छोड़ी गई है या नहीं, इसे भी देखा जाता है. अगर निर्माण के दौरान नक्शे का उल्लंघन पाया जाता है तो बिल्डिंग को सील करने तक कि कार्रवाई भी की जाती है. मगर इसके पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी करके जवाब मांगा जाता है. यदि वो जवाब नहीं देता है तो फिर ध्वस्तीकरण का आदेश जारी होता है. इस आदेश के जारी होने के बाद मण्डली कमिश्नर के यहां पहली और शासन में दूसरी अपील करने की गुंजाइश होती है. यहां से राहत न मिलने के बाद प्राधिकरण ध्वस्तीकरण यानी मकान गिराने की कार्रवाई कर सकता है. 

जावेद का नहीं मिला है नोटिस

यह सब उस एक्ट में दर्ज है, जिससे सभी प्राधिकरण अपनी कार्रवाई करते हैं. अब यदि प्रयागराज विकास प्राधिकरण की बात कर लें तो उसके क्षेत्र में करीब सवा दो लाख मकान आते हैं. इनमें से करीब चालीस हजार ऐसे हैं, जिनके नक्शे पास ही नहीं हैं. वहीं सूत्रों की मानें शेष साठ फीसदी मकान ऐसे हैं, जिन्होंने नक्शे से इतर अपने मकान बनाये हुए हैं. अक्सर अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान चलाने की कवायद शुरू होती है लेकिन कुछ दिन में सब ठंडा पड़ जाता है. इधर जुमे के दिन हुई हिंसा के आरोपी जावेद मोहम्मद के मकान को गिराने को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. प्राधिकरण के कहना है कि एक महीने पहले जावेद को नोटिस दिया गया था लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया जिसके बाद ध्वस्तीकरण किया गया. उधर जावेद के परिजनों की मानें तो मकान कई वर्ष पूर्व बना था. उन्हें कभी कोई नोटिस नहीं मिला है.

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