'हाजिर हो सैयद सलाहुद्दीन', हिजबुल चीफ के खिलाफ पहली बार कोर्ट का आदेश, PoK में छिपा है आतंकी
हिजबुल चीफ के खिलाफ कानूनी मामला बनाने की दिशा में इसे पहला कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य उसे पाकिस्तान से प्रत्यर्पित कराना है, जहां वह पिछले 36 सालों से छिपा हुआ है.

Terrorism: भारत की सीमा के अंदर और बाहर आतंकियों और उनके समर्थकों पर शिकंजा कसते हुए केंद्र सरकार ने कानूनी मोर्चे पर एक और लड़ाई शुरू कर दी है. आतंकवाद विरोधी अभियानों के साथ-साथ छापेमारी और संपत्तियों की जब्ती जारी है. वहीं, सरकार ने अब आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने के लिए कानूनी रास्ता अपनाया है.
बडगाम के प्रिंसिपल सेशन जज ओम प्रकाश बघाट ने पहली बार हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ औपचारिक उद्घोषणा जारी की है, जिसमें उसे दो दशक पुराने हत्या के मामले में एक महीने के भीतर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है.
36 सालों से पाकिस्तान में छिपा है सैयद सलाहुद्दीन
इस कदम को हिजबुल मुजाहिदीन सुप्रीमो के खिलाफ कानूनी मामला बनाने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य उसे पाकिस्तान से प्रत्यर्पित कराना है, जहां वह पिछले 36 सालों से छिपा हुआ है. यह आदेश पुलिस स्टेशन बडगाम में धारा 302, 307, 109 आरपीसी और 7/25 आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर नंबर 255/2002 के संबंध में पारित किया गया है.
कश्मीर के बडगाम का रहने वाला है हिजबुल मुजाहिदीन चीफ
आरोपी की पहचान मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सलाहुद्दीन, गुलाम रसूल शाह के बेटे बनपोरा, सोइबुग, बडगाम के निवासी के रूप में हुई है, जो घटना के बाद से गिरफ्तारी से बच रहा है, रिपोर्टों से पता चलता है कि वह वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में रह रहा है. धारा 512 सीआरपीसी के तहत उद्घोषणा आदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तारी वारंट को निष्पादित करने के बार-बार विफल प्रयासों के बाद जारी किया गया है.
नोटिस में कहा गया है कि जांच अधिकारी और संबंधित एसएचओ ने बयान प्रस्तुत करते हुए पुष्टि की, कि अथक प्रयासों के बावजूद सलाहुद्दीन घाटी में नहीं पाया जा सका, जिससे न्यायिक प्रक्रिया बाधित हुई. अदालत ने पाया कि आरोपी की लगातार अनुपस्थिति के कारण पीड़ित परिवार को न्याय मिलने में देरी हो रही है. पुलिस की दलीलों और सहायक दस्तावेजों से संतुष्ट होकर अदालत ने निर्देश दिया कि घोषणा को सरकारी राजपत्र और दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाए और सलाहुद्दीन के पैतृक गांव में सार्वजनिक रूप से पढ़ा जाए ताकि व्यापक सूचना सुनिश्चित हो सके.
आरोपी को प्रकाशन की तारीख से एक महीने की समय सीमा दी गई है ताकि वह अदालत के समक्ष खुद को पेश कर सके. ऐसा न करने पर उचित प्रक्रिया के तहत आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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Source: IOCL