भीमा कोरेगांव हिंसा: पुणे पुलिस ने सुधा भारद्वाज को फिर गिरफ्तार किया, नक्सलियों से संबंध का है आरोप
भीमा-कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन की जांच के सिलसिले में पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को छापेमारी करके सुधा भारद्वाज, गोंजाल्विस, फरेरा, गौतम नवलखा (अब मुक्त) और पी. वरवर राव को गिरफ्तार किया था.

नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन मामले में वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को पुलिस ने एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक, पुणे पुलिस सुधा का मेडिकल कराने के बाद उन्हें एयरपोर्ट लेकर जाएगी. भारद्वाज को सूरजकूंड (फरीदाबाद) स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया गया. कल पुणे पुलिस ने वर्नन एस गोंजाल्विस और अरुण टी फरेरा को हिरासत में लिया था.
सुधा के वकील के मुताबिक, शुक्रवार को सुधा की हाउस अरेस्ट की अवधि खत्म हो गई थी. पुणे कोर्ट ने सुधा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद पुणे पुलिस शुक्रवार रात को सुधा के घर पहुंची. जहां से उन्होंने सुधा को अपनी हिरासत में ले लिया. अब उन्हें पुलिस पुणे कोर्ट में पेश करेगी.
28 अगस्त को पुणे पुलिस ने सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया था. कार्रवाई के दौरान साइबर एक्सपर्ट की टीम भी थी. जिन्होंने सुधा और उनके परिजनों के फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसी सोशल साइट्स को कथित तौर पर खंगाले थे साथ ही पुलिस घर से एक पैन ड्राइव, दो मोबाइल फोन, एक मॉडम, एक राउटर, लैपटॉप, बैंक अकाउंट संबंधी दस्तावेज, आईटी फार्म-16, कुछ पत्रिकाएं और डायरियों को जब्त किया था.
सुधा पर नक्सलियों से संबंध रखने का आरोप है. इस मामले में आज सुधा के दोस्त उन पर लगे सारे आरोप को बेबुनियादी बताते हुए कहा कि पुलिस गलत ढ़ंग से फंसा रही है. सुधा के घर के बाहर, 'सुधा वी आर विथ यू' के पोस्टर भी लगाए गए हैं.
#bhimakoregaoncase: Activist and Lawyer Sudha Bhardawaj being taken by Pune Police from her residence in Haryana's Faridabad. Pune Court had rejected her bail plea yesterday pic.twitter.com/Sc8wD5IM0e
— ANI (@ANI) October 27, 2018
भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के सिलसिले में पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को छापेमारी करके भारद्वाज, गोंजाल्विस, फरेरा, गौतम नवलखा (अब मुक्त) और पी. वरवर राव (वर्तमान में हैदराबाद में नजरबंद) को गिरफ्तार किया था. पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद सम्मेलन के बाद ही कथित तौर पर भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़की थी. गिरफ्तारी के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी को नजरबंद (घर में बंद) रखने के लिए कहा था.
भीमा कोरेगांव हिंसा: प्रोफेसर, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता, IIT टॉपर रह चुकी हैं सुधा भारद्वाज
इससे पहले जून में पुणे पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन, सुधीर धावले, शोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत और राणा जैकब को भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया था.
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