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Assam: असम के मटिया डिटेंशन सेंटर में ही रहेंगे सभी अवैध विदेशी, ट्रांसफर करने का काम हुआ पूरा
Matia Detention Centre: असम के मटिया डिटेंशन सेंटर में सभी अवैध विदेशियों को शिफ्ट कर दिया गया है. कुछ बंदियों को बीती जनवरी में ट्रांसफर किया गया था. इससे पहले छह जेलों में डिटेंशन सेंटर बनाए गए थे.
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Assam Matia Transit Camp: असम सरकार ने गोलपाड़ा (Goalpara) जिले के मटिया (Matia) में बनाए गए नए डिटेंशन सेंटर में सभी अवैध विदेशियों को चरणबद्ध तरीके से ट्रांसफर करने का काम पूरा कर लिया है. इस सेंटर को आधिकारिक तौर पर 'ट्रांजिट कैंप' (Matia Transit Camp) के रूप में जाना जाता है. यह गुवाहाटी (Guwahati) से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम की जेल महानिरीक्षक पुबाली गोहेन (Pubali Gohain) ने बताया कि कैंप में अब कुल 217 विदेशी हैं. उन्होंने बताया कि असम के विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunal) ने जिन लोगों को 'विदेशी' घोषित किया है और जिन्हें वीजा प्रावधानों का उल्लंघन करने पर न्यायिक अदालतों ने दोषी ठहराया है, उन्हें ट्रांजिट कैंप में रखा गया है. इनमें वीजा प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों की संख्या ज्यादा है.
46 करोड़ रुपये की लागत से बना है ट्रांजिट कैंप
अधिकारी ने बताया कि विदेशियों को कैंप में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया रविवार (12 मार्च) को पूरी कर ली गई. बंदियों को जोरहाट, डिब्रूगढ़, सिलचर समेत अन्य सेंटरों से लाया गया है. मटिया में ट्रांजिट कैंप बनाने में 46 करोड़ रुपये की लागत आई है, इसे केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार विशेष रूप से अवैध विदेशियों को रखने के लिए बनाया गया है. यह अपनी तरह का असम का पहला सेंटर है.
इन 6 जेलों में चल रहे थे डिटेंशन सेंटर
मटिया स्थित ट्रांजिट कैंप ने इसी साल 27 जनवरी को काम करना शुरू कर दिया था. गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार उस समय 68 लोगों को कैंप में ट्रांसफर किया गया था. उससे पहले तक बंदियों को छह डिटेंशन सेंटरों में रखा गया था जोकि कोकराझार, गोलपाड़ा, तेजपुर, सिलचर, डिब्रूगढ़ और जोरहाट के जेलों के अंदर बनाए गए थे. पुबाली गोहेन ने बताया कि अब सभी विदेशी मटिया के कैंप में ही हैं.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया था विरोध
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ समय पहले, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 6 जेलों के अंदर डिटेंशन सेंटर बनाकर रखे गए लोगों के हालात के मद्देनजर इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया था. सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क स्टूडियो नीलिमा ने 2020 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में उन याचिकाओं को चुनौती दी थी, जिनकी वजह से जेलों में डिटेंशन सेंटर बनाए गए थे.
कार्यकर्ताओं ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर करके बंदियों की रिहाई की मांग की थी. वहीं, बंदियों को मटिया में ट्रांसफर किए जाने का आदेश कोर्ट ने नवंबर 2022 में दिया था. सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना की गई थी.
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