'चीन को लेकर नीति क्या है?' ड्रैगन की ब्रह्मपुत्र पर बांध परियोजना पर भड़के ओवैसी, केंद्र से पूछे ये सवाल
World's Largest Dam On Brahmaputra: भारत ने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाए जाने की परियोजना का विरोध किया है. इस मुद्दे को लेकर ओवैसी ने केंद्र पर निशाना साधा है.

Asaduddin Owaisi targeted Modi Government: चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है. इस निर्माण को लेकर भारत ने अपनी चिंता जाहिर की है. इस परियोजना की अनुमानित कीमत करीब 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर है. इस बांध को चीन संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर बना रहा है.
इस परियोजना को लेकर अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने पूछा है कि मोदी की चीन को लेकर नीति क्या है?
असदुद्दीन ओवैसी ने उठाए सवाल
AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा, " भारत सरकार की चीन को लेकर नीति क्या है? लद्दाख में नए चीनी जिलों पर गंभीर विरोध और ब्रह्मपुत्र पर नए बांध पर विचार के अनुरोध से बीजिंग हिलने वाला नहीं है. क्या हमारे पास गलवान, हॉट स्प्रिंग, गोगरा, पैंगोंग और कैलाश रेंज में अपने सैनिकों के लिए गश्त के अधिकार बहाल कराने की कोई योजना है? क्या हमने पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 की यथास्थिति की बहाली को पूरी तरह से छोड़ दिया है?"
उन्होंने आगे कहा," नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दशक बाद भी हमारे सशस्त्र बलों को आधुनिकीकरण और मुश्किल हालात से निपटने के लिए तैयार होने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं दिए गए हैं. घटती ताकत के कारण भारतीय वायुसेना निराशा में क्यों है? नौसेना के लिए तीसरे विमानवाहक पोत को मंजूरी क्यों नहीं दी गई? सेना में अब 2 लाख सैनिकों की कमी क्यों है?
चीन ने दी है सफाई
चीन ने दावा किया कि भारत की सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की प्रस्तावित परियोजना गहन वैज्ञानिक सत्यापन से गुजर चुकी है. चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बताया कि यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) के निचले क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे जलविद्युत परियोजना के निर्माण का गहन वैज्ञानिक सत्यापन किया गया है और इससे निचले हिस्से में स्थित देशों के पारिस्थितिकी पर्यावरण, भूविज्ञान और जल संसाधनों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
Source: IOCL






















