अरुण जेटली का आरोपः राहुल गांधी 'मसखरे राजकुमार' हैं, उनकी कही एक-एक बात झूठी
अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि आज यूपीए सरकार ने फिर एक बार झूठ बोला कि जब वो सरकार से बाहर गए थे तो बैंकों के एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट) 2.5 लाख करोड़ रुपये ही थे.

नई दिल्लीः पिछले कई दिनों से विजय माल्या और बैंकों के एनपीए को लेकर कांग्रेस के निशाने पर आए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों पर जमकर पलटवार किया है. अरुण जेटली ने कहा कि क्या विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में किसी मसखरे राजकुमार को जनता में दिए जा रहे भाषणों को प्रदूषित करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि आज यूपीए सरकार ने फिर एक बार झूठ बोला कि जब वो सरकार से बाहर गए थे तो बैंकों के एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट) 2.5 लाख करोड़ रुपये ही थे, हालांकि साल 2015 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक ऐसेट क्वालिटी रिव्यू कराया था जिसमें सामने आया था कि बैंकों के कुल एनपीए 8.96 लाख करोड़ रुपये पर थे.

अरुण जेटली ने ये भी कहा कि राहुल गांधी लगातार झूठ पर झूठ बोलते आ रहे हैं. पहला बड़ा झूठ राफेल को कर बोला गया था और दूसरा झूठ जो राहुल गांधी बार बार बोलते आ रहे हैं वो ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 उद्योगपतियों का 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया. उनके द्वारा कहे गए एक वाक्य का एक-एक शब्द झूठ है.
राफेल के ऊपर मैंने जो सवाल किए थे उनका कोई जवाब नहीं दिया गया. एक परिपक्व लोकतंत्र में वो लोग अनफिट होते हैं जो झूठ का सहारा लेते हैं. झूठ बोलने की वजह से कई लोग सक्रिय राजनीतिक जीवन से गायब हो गए, लेकिन साफ है कि ये नियम कांग्रेस जैसी वंशवादी पार्टी पर लागू नहीं होता है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का राफेल पर झूठ को लेकर शुरू किया गया कैंपेन उनकी रणनीति है जिसके तहत एक झूठ को गढ़ना और उसे दोहराना जितना बार संभव हो सकता है. ये उनकी स्ट्रेटेजी को पूरी तरह एक्सपोज कर रहा है. ये झूठ राहुल गांधी को उनके बयानों और भाषणों के लिए कुछ मुद्दे तो दिला ही देते हैं जबकि कांग्रेस के पास कोई सही मुद्दे ही नहीं हैं.
दरअसल विजय माल्या ने कुछ दिन पहले कहा था कि देश छोड़ने से पहले उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलकर बैंकों के लोन चुकाने को लेकर सैटलमेंट की पेशकश की थी. हालांकि अरुण जेटली ने इससे इंकार करते हुए कहा था कि माल्या सिर्फ उन्हें संसद के गलियारे में मिला था और उससे बैकों के लोन सैटलमेंट को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई थी. माल्या के खुलासे के बाद से ही वित्त मंत्री कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष के निशाने पर आ गए थे और उनके इस्तीफे तक की मांग की जा रही है. राहुल गांधी ने कहा था कि अरुण जेटली को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.
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