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एनसीआरबी के स्थापना दिवस पर बोले अमित शाह - अपराध नियंत्रण में डाटा का इस्तेमाल करें पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा कि सिर्फ़ डाटा बनाने से कुछ नहीं होता, राज्यों में जाकर संवाद करना पड़ेगा, इसके बारे में बताना पड़ेगा, इसके उपयोग की पद्धति बतानी होगी.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 37वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने वाले पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीसीटीएनएस पर देश के 16,390 पुलिस स्टेशन जुड़ चुके हैं, लेकिन अभी देश की केंद्रीय एजेंसियां जैसे सीबीआई, एनसीबी और एनआईए इसके साथ नहीं जुड़ी हैं. भारत की सभी एजेंसियां सीसीटीएनएस को कुछ ही दिनों में ज़रूर जॉइन करें और डाटा को शत-प्रतिशत पूर्ण बनाएं. इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्र, केंद्रीय गृह सचिव, एनसीआरबी के निदेशक और गृह मंत्रालय व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे. 

फिंगर प्रिंट सिस्टम के इस्तेमाल से होगी आसानी

गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने आईसीजेएस के दूसरे चरण का लक्ष्य लगभग 3,500 करोड़ रुपये के ख़र्च से वर्ष 2026 तक रखा है. इसके पूरा होने के बाद आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक चेन, एनालिटिक टूल और फ़िंगर प्रिंट सिस्टम का उपयोग करके इसे अधिक से अधिक उपयोगी बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब तक लगभग एक करोड़ फिंगरप्रिंट दर्ज हो चुके हैं और अगर ये सभी पुलिस स्टेशनों को उपलब्ध हो जाएं, तो अपराध ढूंढने के लिए फिंगरप्रिंट मिलने के बाद किसी के पीछे जाने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि उसका एड्रेस आपको थाने के कंप्यूटर पर ही मिल जाएगा. 

उन्होंने कहा कि जब विभिन्न राज्य पुलिस एकवर्षीय कार्ययोजना बनाती हैं तो ये पता चलता है कि इनका स्रोत एनसीआरबी का डाटा होता है. हर राज्य को अपनी वार्षिक पुलिस रणनीति बनाने में एनसीआरबी के डाटा का उपयोग करना चाहिए और अपराध नियंत्रण में इसका बहुआयामी और बहुउद्देशीय उपयोग होना चाहिए तभी ये संस्था परिणामलक्षी बनेगी. अमित शाह ने कहा कि एनसीआरबी एक मस्तिष्क की तरह काम करता है और एक्शन तभी संभव है जब राज्य इसके डाटा का उपयोग करें. एनसीआरबी ने अपने तरीक़े से बहुत सारी चीज़ों को संजोकर डाटा संरक्षण और डाटा विश्लेषण का एक बहुत अच्छा ख़ाक़ा बनाया है. इसका उपयोग तभी हो सकता है जब इसे सिर्फ़ एक पुस्तक ना मानते हुए हर ज़िले, थाने, रेंज और डीजीपी मुख्यालय में इसका विश्लेषण कर उसका उपयोग करने की आदत डालें.

हैकाथॉन से हो सकती हैं कई चुनौतियां हल

केंद्रीय गृहमंत्री ने यह भी कहा कि सिर्फ़ डाटा बनाने से कुछ नहीं होता, राज्यों में जाकर संवाद करना पड़ेगा, इसके बारे में बताना पड़ेगा, इसके उपयोग की पद्धति बतानी होगी. कुछ राज्यों ने इसका उपयोग किया है. बीपीआरएंडडी और एनसीआरबी दोनों को इसकी बेस्ट प्रैक्टिस को साझा करने का काम करना चाहिए. शाह ने कहा कि आज अपराध व अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) हैकाथॉन का भी उद्घाटन हुआ है और बीपीआरएंडडी को हर राज्य में इसे प्रत्यारोपित करना चाहिए, क्योंकि हैकाथॉन से बहुत सारी चुनौतियों का हल निकल सकता है. हैकाथॉन एकमात्र ऐसा रास्ता है जिसके ज़रिए हम अपराध करने वालों से दो क़दम आगे रह सकते हैं.

ऐसे में यह देखना होगा कि अब बड़े-बड़े एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन और नए-नए हॉस्टल्स बन रहे हैं और इनके आसपास किस प्रकार के काम बढ़ रहे हैं. इन्हें सिर्फ़ आईपीसी की दृष्टि से देखने से समाधान नहीं निकल सकता, इसका अलग दृष्टि से एनालिसिस करना चाहिए. बीपीआरएंडडी और एनसीआरबी की यह जिम्मेदारी है. दोनों को मिलकर इसका अलग दृष्टि से विश्लेषण कर समाधान के साथ डीजीपी कॉन्फ्रेंस में एक पेपर प्रस्तुत करना चाहिए और राज्यों के साथ इसकी चर्चा कर वर्कशॉप भी आयोजित करने चाहिए.

क्राइम के डाटा का उपयोग अगर क्राइम कम करने में नहीं होता है तो हम डाटा रखने का अधिकतम फायदा नहीं ले सकते. जब तक हम इन सारी सुविधाओं के उपयोग का प्रचार प्रसार नहीं करते, इसे उपयोग करने वाले फोरम में नहीं पहुंचाते, तब तक वह पूरी तरह फायदा नहीं दे सकती. उन्होंने कहा कि जब तक हम आईपीएस अफ़सरों से थाने में बैठे हुए व्यक्ति तक इन सारी सुविधाओं को नहीं पहुंचाएंगे तब तक हमें इसका फायदा नहीं मिलेगा और इसकी जिम्मेदारी भी एनसीआरबी की है.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि डाटा के अंदर तीन चीजें महत्वपूर्ण हैं- डाटा का एक्सेस, एक अच्छे फॉर्मेट में रजिस्ट्रेशन और उसके उपयोग के लिए टूल बनाना. उन्होंने कहा कि आधुनिक से आधुनिक टूल का उपयोग कर इसके एनालिसिस का सिस्टम बनाना चाहिए और इसका मैनेजमेंट भी करना चाहिए. इस काम को इन तीन हिस्सों में बांट कर एनसीआरबी अगर आजादी के अमृत महोत्सव में एक संकल्प ले कि अगले 5 साल में डाटा की उपयोगिता को हम कम से कम 20% बढ़ाएंगे, तो यह आजादी के अमृत महोत्सव में उसका बहुत बड़ा काम होगा.

अमित शाह ने कहा कि आपने 37 साल में डाटा स्टोर करने और इसे उपलब्ध कराने तक बहुत अच्छा काम कर लिया है. अब हमारा संपूर्ण फोकस, डाटा के उपयोग और उससे आने वाले परिणाम पर होना चाहिए. उन्होने कहा कि एनसीआरबी की 37 साल की यह यात्रा लॉ एंड ऑर्डर के साथ जुड़ी हुई सभी एजेंसियों के लिए प्रेरणास्रोत है.

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