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दिल्ली: AIIMS में कोरोना वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल ने फिर पकड़ी रफ्तार, बड़ी संख्या में आगे आए वालंटियर्स

एम्स में पहले चरण के ट्रायल में लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स था. दूसरे चरण में भी लोग ठीक-ठाक संख्या में आगे आए. लेकिन तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई थी. लेकिन कुछ दिनों के बाद रविवार को अच्छी खासी संख्या में वॉलंटियर्स इसमें हिस्सा लेने के लिए आगे आए.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के एम्स में कोरोना वैक्सीन के थर्ड फेज का क्लीनिकल ट्रायल चल रहें है. पिछले दिनों ट्रायल काफी धीमा हो गया था लेकिन एक बार फिर ट्रायल ने रफ्तार पकड़ी है. फिर से ट्रायल के लिए वॉलंटियर आने लगे हैं. खास बात ये है कि इसमें बड़ी संख्या एम्स के डॉक्टर, उनके परिवार के लोग और बाहर के डॉक्टर्स शामिल हो रहे हैं. इन डाक्टरों के मुताबिक, अगर इस ट्रायल में शामिल नहीं होंगे तो ट्रायल पूरा नहीं होगा, ऐसे में वैक्सीन कैसे मिलेगी?

एम्स में ईएनटी में डॉक्टर आलोक ठक्कर ने भी अपने पिता को लेकर इस क्लिनिकल ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए लाए. उनके पिता महेंद्र लाल ठक्कर की उम्र 80 साल है. वो पिछले कई दिनों से अपने बेटे से वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने की बात कर रहे थे. वहीं जब इन्हें पता चला कि वैक्सीन ट्रायल में वॉलिंटियर्स कम पड़ रहे हैं तो वह अपने बेटे के साथ ट्रायल में शामिल होने आ गए. ये जानते हुए कि सरकार की प्राथमिकता लिस्ट के मुताबिक उन्हें वैक्सीन मिलेगी लेकिन बावजूद वो आगे आए.

महेंद्र लाल ठक्कर ने कहा, “मैंने आर्टिकल पढ़े थे मैगज़ीन में…वैक्सीन ट्रायल पर और मैंने ट्रायल में शामिल होने का फैसला किया. मुझे पता था कि आने वाले वक्त में मुझे मिल जाएगी ये, लेकिन मैंने सोचा हिस्सा लेते हैं. फायदा होगा तो ठीक है नहीं तो कोई बात नहीं. अगर प्लेसिबो हुआ तो भी चलेगा.”

महेंद्र लाल के बेटे डॉ आलोक ठक्कर के मुताबिक ट्रायल के लिए वॉलंटियर की कमी थी और पिता जी चाहते थे कि इसमें शामिल हों. इसलिए उन्होंने डॉक्टर से बात की और उन्हें ट्रायल के लिए वॉलंटियर बना दिया.

डॉ आलोक ठक्कर कहते हैं, “इन्होंने खुद कहा की तुम्हारे यहां ट्रायल चल रहा है. मैंने पहले तो अनदेखी कर दी. मैंने कहा देख लेंगे लेकिन उन्होंने फिर कहा तो मैंने बात कर ली. मैंने डॉक्टर साहब से बात की कि मेरे पिताजी वैक्सीन लगवाना चाह रहे हैं. जैसा कि सभी को पता है कि पहले दो चरण के ट्रायल हुए हैं तो इसके सेफ्टी का एसेसमेंट हो चुका है.”

इसी तरह एम्स में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ आशुतोष बिस्वास और डॉ हरिप्रसाद भी क्लीनिकल ट्रायल में शामिल हुए. दोनों के मुताबिक, लोगों को लगने लगा है कि जल्द वैक्सीन आ जाएगी. आशुतोष ने कहा, “मैं इसलिए आया हूं कि अगर हम नहीं आएंगे तो ट्रायल कैसे पूरा होगा. लोग वॉलंटियर नहीं करेंगे तो एफिकेसी कैसे पता चलेगा, सेफ्टी कैसे पता चलेगी. एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं ट्रायल के लिए आऊं और ये बहुत बड़ी आबादी के लिए लाभदायक होगा.”

सिर्फ सीनियर डॉक्टर और उनका परिवार ही नहीं बल्कि एम्स में पढ़ने वाले छात्र भी ट्रायल का हिस्सा बनने आगे आए. एक छात्र ने कहा, “कुछ दिनों में वैक्सीन हमें ऐसे भी मिलने वाली है लेकिन मुझे ऐसा लगा कf किसी को तो पार्टिसिपेट करना है तो मुझे कर लेना चाहिए. एक तरह की सोशल सर्विस है.

इसी तरह कुछ और डॉक्टर जो एम्स में नहीं बाहर प्राइवेट प्रैक्टिस करते है वो भी इस क्लिनिकल ट्रायल में वॉलंटियर बने. डॉ ऋतु ने कहा, “इसका मुख्य कारण है कि पूरी दुनिया कोरोना से ग्रसित है और हम किसी भी तरह से लोगों की मदद कर सकते हैं. वैक्सीन से बहुत लोगों को प्रोटेक्शन मिल सकता है. मेरा बहुत दिनों से मन था कि मैं किसी क्लिनिकल ट्रायल में भाग लूं. फिर मेरे एक दोस्त ने बताया. उसने बताया कि एम्स में वैक्सीन का ट्रायल चल रहा था उसमें वॉलिंटियर्स की शॉर्टेज हो गई है. मैंने अपनी एक एम्स के दोस्त को संपर्क किया और उन्होंने बताया कि मैं डॉक्टर संजय राय से मिलो और उसके बाद में यहां आई.”

वहीं कुछ और लोग भी इस ट्रायल का हिस्सा बने ताकि ये जल्द खत्म हो. इसमें बुजुर्ग भी शामिल हैं. जोत्सना गोविल नाम की ट्रायल वॉलंटियर ने कहा, “कोई तो करेगा ना, हम सब इंतज़ार करेंगे. हमारी उम्र में फ्री में मिलेगा तो इनके ट्रायल कब खत्म होंगे, कैसे पता चलेगा की वैक्सीन वाकई मे ढंग का है या नहीं.”

डॉ संजय राय, कम्यूनिटी मेडिसिन, एम्स कहते हैं, “लोगों में कहीं कोई कंफ्यूजन हो गया था. मीडिया की मदद से लोगों में जागरूकता पैदा हुई. आज सुबह से काफी ज्यादा लोग आ रहे हैं. पहले लोग आ रहे थे और जा रहे थे. इतनी अवेयरनेस नहीं थी. उनको लग रहा था कि दो-चार दिन में वैक्सीन मिलने वाला है तो क्यों शामिल हों लेकिन अब ऐसा नहीं है. बड़ी संख्या में एम्स से बाहर से भी लोग आए हैं.”

अब एम्स में वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल करा रहे डॉ संजय राय को उम्मीद है की जल्द ट्रायल पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा, “लोगों का उत्साह देखकर तो मुझे लग रहा है कि ट्रायल जल्दी खत्म हो जाएगा. जल्दी टाइम से खत्म होगा तो जल्दी वैक्सीन आने की उम्मीद होगी.”

एम्स में पहले चरण के ट्रायल के दौरान काफी अच्छा रिस्पॉन्स था. जब जरुरत 100 वॉलंटियर की थी तो साढ़े चार हजार लोगों ने आवेदन किया था. इसी तरह दूसरे चरण में भी काफी संख्या में लोग ट्रायल में शामिल होने पहुंचे थे. लेकिन तीसरे चरण में ऐसा नहीं है. हालांकि, अब बड़ी संख्या में वॉलंटियर ट्रायल में हिस्सा लेने पहुंच रहे है.

फिलहाल एम्स में भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है. ये ट्रायल करीब एक हजार से पंद्रह सौ लोगों पर होना है. अब जब लोग वैक्सीन ट्रायल में आने लगे तो उम्मीद की जा रही है एम्स के इस क्लीनिकल ट्रायल सेंटर पर जल्द ट्रायल खत्म हो जाएगा.

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