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49 Years of Emergency: इंदिरा ही नहीं पंडित नेहरू ने भी लगवाई थी इमरजेंसी!

26 अक्टूबर 1962 को पहली बार देश में इमरजेंसी लगाई गई थी. उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. उस समय भारत और चीन के बीच जंग चल रही है तो सुरक्षा को लेकर आपातकाल लागू कर दिया गया था.

देश में 25 जून 1975 को जो इमरजेंसी लगी थी, उसकी गुनहगार थीं इंदिरा गांधी. यही वजह है कि आपातकाल लगने के 50 साल बाद भी उस वाकये को कोई भूल नहीं पाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि 1975 में इंदिरा गांधी की लगाई इमरजेंसी से पहले भी देश में आपातकाल लगा था. वो भी एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार. उस आपातकाल को कोई याद नहीं करता है और न ही कोई उस आपातकाल को लगाने के लिए नेहरू या फिर इंदिरा गांधी को जिम्मेदार ठहराता है. तो आखिर इसकी वजह क्या है.

आखिर पंडित नेहरू की लगवाई इमरजेंसी और इंदिरा गांधी की लगवाई इमरजेंसी में क्या फर्क था और आखिर जिन वजहों से पंडित नेहरू ने इमरजेंसी लगवाई थी वैसी ही वजहें लाल बहादुर शास्त्री या अटल बिहारी वाजपेयी के सामने आने पर भी उन्होंने इमरजेंसी क्यों नहीं लगवाई थी.

कैसे लगता है आपातकाल?
सबसे पहले बात करते हैं कि आपातकाल लगता कैसे है. भारतीय संविधान के भाग 18 के आर्टिकल 352 में आपातकाल का जिक्र है. इसमें साफ तौर पर लिखा है कि अगर राष्ट्रपति को लगता है कि पूरे देश पर या देश के किसी भी हिस्से पर युद्ध या किसी भी बाहरी अतिक्रमण की आशंका है तो उन परिस्थितियों में राष्ट्रपति पूरे देश में या फिर देश के किसी भी खास हिस्से में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं. इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए जाते हैं और जहां पर भी आपातकाल लगा होता है, उसकी पूरी व्यवस्था राष्ट्रपति के हाथ में आ जाती है.

पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय क्यों लगी थी इमरजेंसी?
संविधान के इस आर्टिकल का पहली बार इस्तेमाल किया गया था तब, जब पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. तारीख थी 26 अक्टूबर 1962. भारत और चीन के बीच जंग चल रही थी. देश की सुरक्षा पर बाहरी आक्रमण के खतरे को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधा कृष्णन ने देश में आपातकाल लागू कर  दिया था. डॉक्टर राधाकृष्णन के बाद जब जाकिर हुसैन देश के राष्ट्रपति बने तो 10 जनवरी 1968 को आपातकाल खत्म करने की घोषणा की गई.

इंदिरा गांधी ने क्यों लगवाया था आपातकाल?
दूसरी बार देश में आपातकाल तब लगा जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुई. इस जंग के वक्त देश की प्रधानमंत्री थीं इंदिरा गांधी. इस आपातकाल का वक्त बहुत छोटा था. 3 दिसंबर 1971 को देश में आपातकाल घोषित किया गया क्योंकि तब पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था. 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों पाकिस्तान और बांग्लादेश में तोड़ दिया था. पाकिस्तान के 90 हजार सैनिको ने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके अगले ही दिन 17 दिसंबर 1971 को आपातकाल खत्म कर दिया गया. देश में दूसरी बार आपातकाल को लागू करने और उसे खत्म करने का फैसला तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने लिया था.

तीसरी बार क्यों लगा आपातकाल?
तीसरी बार इंदिरा गांधी ने आपातकाल तब लगाया जब न देश को कोई खतरा था और न ही देश के नागरिकों को., बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद खतरा उनकी प्रधानमंत्री की कुर्सी को था. उसी कुर्सी को बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की रात देश में तीसरी और आखिरी बात आपातकाल लागू किया था. 26 जून 1975 की सुबह खुद इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो के जरिए देश को जानकारी दी कि आपातकाल लग गया है. इस फैसले को लागू करने वाले थे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद. 21 मार्च 1977 को इस आपातकाल के खात्मे की घोषणा की गई और उसके बाद से देश में अब तक कोई आपातकाल नहीं लगा है.

लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी ने क्यों नहीं लगाई इमरजेंसी?
तो अब दो सवाल हैं. पहला कि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग तो 1965 में भी हुई थी. तब देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे. तो उन्होंने आपातकाल लगाने की सिफारिश क्यों नहीं की. इसका जवाब है कि तब देश में पहले से ही आपातकाल लागू था. 1962 में जब भारत और चीन के बीच लड़ाई छिड़ी थी और  26 अक्तूबर 1962 को जब पहली बार आपातकाल की घोषणा की गई थी तो ये आपातकाल पांच साल से ज्यादा चला था. इसी दरम्यान भारत ने चीन और फिर पाकिस्तान दोनों से ही जंग लड़ी थी. तो लाल बहादुर शास्त्री को पाकिस्तान से लड़ाई के वक्त अलग से आपातकाल लगाने की जरूरत नहीं पड़ी थी.

अब दूसरा सवाल कि भारत और पाकिस्तान की जंग तो 1999 में भी हो चुकी है. तब प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने आपातकाल की घोषणा क्यों नहीं की थी. तो इसकी वजह है 1977 में हुआ संविधान संशोधन. दरअसल, इंदिरा गांधी ने जिस तरह से संविधान की शक्तियों का दुरुपयोग कर आपातकाल लगाया था, उसे देखते हुए नई सरकार ने संविधान में कुछ संशोधन किए.

संविधान में हुए 44वें संशोधन के तहत राष्ट्रपति आर्टिकल 352 का इस्तेमाल तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक कि केंद्रीय मंत्रिमंडल लिखित रूप से ये प्रस्ताव न भेजे. तो फिर वाजपेयी मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा क्योंकि तब मंत्रिमंडल था ही नहीं. 17 अप्रैल 1999 को ही अटल बिहारी वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी.

मई में जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया, तब अटल बिहारी वाजपेयी पूर्णकालिक नहीं, बल्कि देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे. लिहाजा न तो मंत्रिमंडल कोई सिफारिश भेज सका और न ही तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने किसी आपातकाल की घोषणा की. हालांकि, भारत ने इतिहास दोहराया और पाकिस्तान पर जीत दर्ज कर ली. ये थी पूरी कहानी देश में लगे आपातकाल की, जिसमें 1962 और 1971 के आपातकाल को कोई याद भी नहीं करता है और 1975 के आपातकाल को कोई भूल भी नहीं सकता है.

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