जिसने रची मेरे बेटे की हत्या की साजिश उसे ही रिहा कर दिया... 11 साल पुराना युग मर्डर केस, HC के फैसले पर पीड़ित पिता की सुप्रीम कोर्ट में दलील
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोषी चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया. सबूत के अभाव में तीसरे दोषी तेजिंद्र पाल को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में बच्चे के पीड़ित परिजन 11 वर्ष बाद न्याय के इंतजार में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए है. युग के पिता विनोद गुप्ता ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है.
23 सितंबर को हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए एक दोषी तेजिंद्र पाल को बरी कर दिया था, जबकि दो की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. पीड़ित परिजन ने इस फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
5 सितंबर 2018 को चार साल के मासूम युग की हत्या मामले में जिला अदालत ने तेजिंद्र पाल, चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी को दोषी करार देने के बाद फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद मामला पुष्टिकरण के लिए हाईकोर्ट भेजा था. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने दोषी चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया. सबूत के अभाव में तीसरे दोषी तेजिंद्र पाल को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया
वर्ष 2014 में 14 जून को शिमला के राम बाजार निवासी विनोद गुप्ता के बेटे युग का अपहरण किया गया था. जांच में पाया गया कि आरोपी उसे शिमला के राम चंद्रा चौक के पास एक किराये के मकान में ले गए. यहां उन्होंने युग को यातनाएं दीं. हफ्ते भर मासूम को तड़पाने के बाद आरोपियों ने उसे भराड़ी में नगर निगम के पेयजल टैंक में जिंदा ही फेंक दिया. 22 अगस्त 2016 को विक्रांत बख्शी की निशानदेही पर सीआईडी ने टैंक के अंदर और बाहर से युग ही हड्डियां बरामद कीं. इसके बाद राम बाजार के चंद्र शर्मा और तेजिंद्र पाल की गिरफ्तारी हुई.
युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने कहा कि युग की हत्या में जिस आरोपी की प्रमुख संलिप्तता थी, उसे ही बरी कर दिया है इसलिए इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मैं याचिका दायर की है. अब सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिल सक. याचिका में उन्होंने आग्रह किया है कि इन तीनो आरोपियों को फांसी की सजा ही मिले.
निचली अदालत ने जो सजा दी थी कि सभी आरोपियों को फांसी दी जाए. उन्होंने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने जघन्य अपराध किया है. उन तीनों आरोपियों ने मेरे बच्चे को तड़पाया है और जिंदा बच्चे को ही टैंक में डाल दिया गया. उन्होंने कहा कि सीआईडी ने इस मामले में बहुत मेहनत की थी लेकिन हाई कोर्ट ने जो निर्णय दिया उससे वह संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार कर ली गई है लेकिन अभी इस केस की डेट नहीं डाली है.
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