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EXPLAINED: बिहार में जाति की राजनीति को मात देंगे Gen-Z वोटर्स! क्या साबित होंगे गेमचेंजर्स? समझिए समीकरण

ABP Explainer: एक्सपर्ट के मुताबिक, बिहार में Gen- Z की आबादी से ज्यादा मिलेनियल की आबादी है. ऐसे में Gen- Z को चुनावी नतीजे पलटने वाला नहीं कहा जा सकता है.

6 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग शुरू होगी और दूसरे चरण में 11 नवंबर को बाकी 122 सीटों पर वोटिंग की जाएगी. कुल 243 सीटों वाले बिहार चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को आएंगे. लेकिन इस बार चुनाव सिर्फ गठबंधनों, जाति समीकरणों या महिलाओं की भूमिका पर ही नहीं टिका है. इस बार चुनाव के केंद्र में है बिहार की युवा आबादी. खासकर Gen- Z. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के कुल मतदाताओं में 24% Gen- Z वोटर्स हैं, जिन्हें गेमचेंजर कहा जा रहा है...

तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि बिहार में कितने और कहां-कहां हैं Gen- Z, इस जेनरेशन ने क्या बड़े कारनामे किए और कैसे बिहार में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं...

सवाल 1- Gen- Z कौन हैं और इनकी संख्या-खासियतें क्या हैं?
जवाब-  Gen- Z को 'जूमर्स' भी कहा जाता है. ग्लोबल लेवल पर ये वो पीढ़ी है जो मिलेनियल्स (1981-1996) के बाद (1997-2012) के बीच पैदा हुए.  Gen- Z के बाद अल्फा जेनरेशन आती है, जो 2013 के बाद पैदा हुए. प्यू रिसर्च सेंटर 2019 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2025 में ये 13 से 28 साल के युवा हैं, लेकिन वोटिंग के लिहाज से 18-28 साल वाले ही  Gen- Z की गिनती में आते हैं. बिहार में ये संख्या खासतौर पर बड़ी है, क्योंकि राज्य की 58% आबादी 25 साल से कम उम्र की है, जो देश में सबसे ज्यादा है.

ये पीढ़ी डिजिटल नेटिव है, यानी इनके लिए स्मार्टफोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया ऑक्सीजन जितना जरूरी है. विकिनो टेक की 2025 की रिपोर्ट 'Who Are Gen Z in India?' के मुताबिक, भारत में 40 करोड़ से ज्यादा Gen- Z में ज्यादातर इंस्टाग्राम, यूट्यूबर और टिकटॉक पर बड़े हुए. वे 2008 का आर्थिक संकट, 2020 में कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक घटनाओं से प्रभावित हैं. लेकिन उनकी खासियत है कि वे महत्वाकांक्षी हैं और कुछ निराशावादी भी. डेलॉइट की 2024 Gen- Z मिलेनियल सर्वे के मुताबिक, 59% Gen- Z अपनी जिंदगी से खुश हैं, लेकिन 41Gen- Z पैसे की चिंता से तनाव में हैं. बिहार जैसे बेरोजगारी वाले राज्यों में 21% Gen- Z जाति से ऊपर उठकर नौकरी, शिक्षा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं.

सवाल 2- Gen- Z ने भारत समेत दुनियाभर में क्या-क्या बड़े कारनामे किए हैं?
जवाब- Gen- Z को अक्सर 'लेजी' या 'ओवर-सेंसिटिव' कहा जाता है, लेकिन हकीकत उलट है. ये वो पीढ़ी है, जिसने डिजिटल दुनिया को नया आकार दिया और सामाजिक बदलाव लाए...

भारत में गहरा असर: snapic. और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की 2025 रिपोर्ट 'The USD 2 Trillion Opportunity: How Gen Z is Shaping the New India' के मुताबिक, भारत के 37.7 करोड़ Gen- Z की खरीदारी शक्ति 2025 में करीब 21 लाख करोड़ रुपए की है, जो 2035 तक 23 ट्रिलियन यानी 168 लाख करोड़ हो सकती है. ये युवा फिनटेक क्रांति चला रहे हैं. 2024 में भारतीय फिनटेक स्टार्टअप्स की संख्या 2,100 से बढ़कर 10,200 हो गई और फंडिंग 1.9 अरब डॉलर रही. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब 21 करोड़ Gen- Z वोटरों ने 22% मतदान किया, जो 2019 के 19% से 3% ज्यादा था.

इसके अलावा दुनियाभर में Gen- Z ने बड़े-बड़े कारनामे करके सरकारें तक गिरा दीं...

  • नेपाल में सरकार गिराई: 2025 में Gen- Z के विरोध ने पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. ओली शर्मा को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. यहां युवाओं ने सोशल मीडिया से सड़कों पर उतरकर तानाशाही को चुनौती दी.
  • बांग्लादेश में सत्ता पलट: 2024 में Gen- Z ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता उखाड़ फेंकी थी. जुलाई 2024 में छात्र आंदोलन ने 15 साल पुरानी सरकार को गिरा दिया था. इस हल्ले में 300 से ज्यादा युवा मारे गए थे.
  • श्रीलंका में सरकार बदली: 2022 आर्थिक संकट की वजह से Gen- Z ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. इसमें महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे शामिल थे. इस आंदोलन की वजह से राजनीतिक बदलाव हुए और तत्कालीन सरकार को इस्तीफा देना पड़ा.

सवाल 3- तो फिर बिहार चुनाव में Gen- Z वोटर्स कितने निर्णायक हैं?
जवाब- चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर इस बार 7 करोड़ 41 लाख 92 हजार 357 मतदाता वोट देंगे. इनमें 3 करोड़ 92 लाख 7 हजार 804 पुरुष, 3 करोड़ 49 लाख 82 हजार 828 महिला और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं.

चुनाव आयोग के आंकड़ों में बताया गया है कि पूरे बिहार में 18-19 साल के 14 लाख 1 हजार 150 मतदाता और 20-29 साल के 1 करोड़ 63 लाख 25 हजार 614 मतदाता हैं, यानी कुल 1 करोड़ 77 लाख 26 हजार 764 Gen- Z मतदाता हैं. आंकड़ों की मानें तो करीब 24 फीसदी मतदाता Gen- Z के हैं, जो किसी भी विधानसभा के प्रत्याशियों की तकदीर बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं. वहीं, जिलेवार देखें  तो नवादा में सबसे ज्यादा 3.64 लाख Gen- Z वोटर्स हैं. इसके बाद-

  • कटिहार- 5,67,572
  • भागलपुर- 5,26,341
  • पूर्णिया- 5,03,721
  • अररिया- 4,88,755
  • सुपौल- 4,20,042
  • बांका- 3,56,475
  • मधेपुरा- 3,52,763
  • सहरसा- 3,22,836
  • जमुई- 3,20,028
  • खगड़िया- 3,04,680
  • मुंगेर- 2,19,857
  • लखीसराय- 1,83,943
  • किशनगंज- 2,99,66

इसके अलावा कई राज्यों में Gen-Z वोटर्स की बड़ी तादात है. ये वोटर्स विकास, रोजगार, शिक्षा और डिजिटल सुविधाओं पर फोकस्ड हैं. Gen- Z भर्ती में देरी और पेपर लीक जैसे पुराने वादों से तंग हैं. अब राजद ने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया और NDA ने विकसित बिहार का सपना दिखाया. 4 नंवबर को पीएम मोदी ने रैली में Gen- Z से अपील की, 'वोट देकर विकसित बिहार बनाएं, महिलाओं को सशक्त करें और नौकरियां दें.' वहीं 4 नवंबर को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'Gen- Z, ये तुम्हारा भविष्य है. चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा हूं, क्योंकि हरियाणा में 1 में 8 वोट फर्जी थे, बिहार में भी वैसा न हो.'

सवाल 4- तो क्या Gen- Z बिहार चुनाव में ऐतिहासिक बदलाव ला पाएंगे?
जवाब- हां. संभावना है, लेकिन आसान नहीं है. कुल 7.42 करोड़ मतदाताओं में 53% 20-40 साल के हैं, लेकिन युवा एपैथी एक समस्या है. 2024 लोकसभा में बिहार का टर्नआउट सिर्फ 56 प्रतिशत रहा. चुनाव आयोग की नेशनल स्वीप रणनीति कहती है कि Gen- Z को पियर एजुकेशन और क्रिएटिव कैंपेन से जोड़ना जरूरी है. प्रवासी युवा (75 लाख बिहारवासी दूसरे राज्यों में) SIR में नाम कटने से डरते हैं, जिसे विपक्ष ने वोट चोरी कहा है.

द मेघालयन एक्सप्रेस की 'Generation Z: Bihar's New Kingmakers' रिपोर्ट के मुताबिक, ये चुनाव सत्ता का नहीं, विजन का रेफरेंडम है. अगर Gen- Z टर्नआउट 65 प्रतिशत तक पहुंचा, तो 56 सीटों पर फर्क पड़ सकता है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसे नए खिलाड़ी Gen- Z को टारगेट कर रहे हैं.

हालांकि, इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'बिहार में Gen- Z की आबादी से ज्यादा मिलेनियल की आबादी है. मिलेनियल्स Gen- Z के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हैं. ऐसे में Gen- Z को चुनावी नतीजे पलटने वाला नहीं कहा जा सकता है. इसके इतर महिलाएं गेमचेंजर साबित हो सकती हैं. महिलाओं को 10 हजार रुपए देने वाली स्कीम ने काफी गहरा असर छोड़ा है.'

ज़ाहिद अहमद इस वक्त ABP न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर (एबीपी लाइव- हिंदी) अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे पहले दो अलग-अलग संस्थानों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी. जहां वे 5 साल से ज्यादा वक्त तक एजुकेशन डेस्क और ओरिजिनल सेक्शन की एक्सप्लेनर टीम में बतौर सीनियर सब एडिटर काम किया. वे बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर आउटपुट डेस्क, बुलेटिन प्रोड्यूसिंग और बॉलीवुड सेक्शन को भी लीड कर चुके हैं. ज़ाहिद देश-विदेश, राजनीति, भेदभाव, एंटरटेनमेंट, बिजनेस, एजुकेशन और चुनाव जैसे सभी मुद्दों को हल करने में रूचि रखते हैं.

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