Jain Muni: जैन मुनि कपड़े क्यों नहीं पहनते ? वजह जानकर चौंक जाएंगे
Jain Muni: जैन धर्म में दिंगबर पंथ को मानने वाले साधुओं का जीवन बेहद कठिन माना जाता है, ये हमेशा बिना कपड़ों के नजर आते हैं. आखिर क्या है वो वजह जो दिंगबर साधु तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनते.

Jain muni: आपने हिंदू धर्म में नागा साधु को बिना कपड़ों के देखा होगा, उसी तरह जैन धर्म के कई मुनिजन भी बिना वस्त्रों के नजर आते हैं. जैन धर्म के दो पंथ हैं श्वेताम्बर और दिगंबर. कुछ महात्मा सफेद कपड़े पहनते हैं और दूसरे निर्वस्त्र रहते हैं. जो बिना कपड़ों की अवस्था में रहते हैं वह दिगंबर मुनि हैं. इन महात्मा की दिनचर्या बेहद कठिन होती है. क्या आप जानते हैं आखिर क्यों जैन साधु बिना कपड़ों के नजर आते हैं.
क्यों कपड़े नहीं पहनते जैन मुनि
दिगंबर साधुओं की दिनचर्या कठिन होती है. कितनी भी सर्दी हो, वे बिना वस्त्र के रहते हैं और रजाई या गर्म कपड़े का सहारा नहीं लेते. हर मौसम में वे हमेशा बिना कपड़ों के होते हैं. दरअसल जैन मुनियों को सारी सांसारिक चीजों को त्यागना होता है. दिंगबर साधु का मानना है कि वस्त्रों की जरूरत तब पड़ती है जब व्यक्ति विकारों से घिरा होता है. उनके अनुसार, वस्त्र विकारों को छुपाने का साधन होते हैं. दिगंबर मुनि मानते हैं कि उनके मन में कोई खोट नहीं इसलिए वे तन पर लंगोट नहीं रखते.
दिगंबर जैन संप्रदाय के अनुसार, संसार के सभी वस्त्र और सामग्री आसक्ति का कारण बनते हैं, जो मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं, इसलिए इन्होंने दिशाओं को ही अपना वस्त्र माना है.
क्यों नहीं नहाते जैन साधु-साध्वियां
दीक्षा लेने के बाद जैन साधु और साध्वियां कभी नहीं नहाते क्योंकि वे अपने शरीर को अस्थायी और नश्वर मानते हैं और उनका मानना है कि आत्मा की शुद्धि और पवित्रता केवल ध्यान, तपस्या, और ज्ञान से ही संभव है, न कि शरीर की सफाई से.
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