23 मार्च को है सोमवती अमावस्या, इस दिन पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है व्रत
नए सप्ताह की शुरुआत सोमवती अमावस्या से हो रही है. सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं और राहु-केतू का प्रभाव भी कम होता है. इस दिन व्रत रखने से पति को भी दीर्घायु प्राप्त होती है.

सोमवती अमावस्या: हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन पति की दीर्घायु की कामना की जाती है. महिलाएं इस दिन व्रत रखकर पीपल की पूजा करती है. वहीं जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल-सर्प दोष है उन्हें भी आज के दिन पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है और काल-सर्प दोष के प्रभाव कम होते हैं. इस पितरों को भी प्रसन्न किया जाता है.
सोमवती अमावस्या पर पूजा विधि
इस दिन सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए. स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर कच्चा दूध, जल, पुष्प, अक्षत और गंगाजल को मिलकर पीपल के किसी वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए. सुहागन स्त्री को पीपल की सात बार परिक्रमा करना चाहिए और हाथ जोड़कर पति की दीर्घायु की प्रार्थना करनी चाहिए.
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तुलसी पूजा
सोमवती अमावस्या को तुलसी की भी पूजा करने की परंपरा है. इस दिन स्नान करने के बाद तुलसी की पूजा की जाती है. जिसमें तुलसी के पौधे के पास घी की दीपक जलाकर प्रार्थना की जाती है. तुलसी की परिक्रमा करते समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
काल सर्प दोष की पूजा
जिन लोगों की कुंडली में काल-सर्प दोष है या राहु-केतु परेशान कर रहे हैं तो इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए और उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए. इस दिन पितरों को भी याद करते हुए उनसे भी आर्शीवाद लेना चाहिए. ऐसा करने से परेशानियों को दूर करने में मदद मिलेगी.
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