सिख धर्म में कुंडली नहीं देखी जाती है क्योंकि उनके ऊपर यह काम नहीं करती है। गुरुद्वारे में 'सेवा' और 'दान' का अभ्यास कुंडली के दो नकारात्मक भावों को संतुलित करता है।
सिख धर्म में कुंडली क्यों नहीं देखी जाती है? वजह जानकार आप भी हो जाएंगे हैरान!
Sikhism: जिस तरह हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले कुंडली देखी जाती है. सिख धर्म में ऐसा कुछ नहीं होता है. सिख धर्म को मानने वाले लोग कुंडली पर विश्वास नहीं करते हैं. जानिए इसका कारण.

Horoscope in Sikhism: हिंदू धर्म में शादी या जीवन के अहम फैसलों को लेने से पहले कुंडली देखी जाती है. क्योंकि इसे ग्रह-नक्षत्रों के प्रभावों से जोड़ा जाता है. वही सिख धर्म में कुंडली देखने या मिलाने की परंपरा नहीं है. आइए जानते हैं इसके पीछे का क्या कारण है?
सिख धर्म में कुंडली नहीं देखी जाती है, क्योंकि उनके ऊपर ये काम नहीं करती है, ये बात सुनने में थोड़ा हैरान कर सकती है, लेकिन इसमें कुछ लॉजिक भी है. दरअसल सिख धर्म के लोग गुरुद्वारे जाते हैं और गुरुद्वारे में दो ऐसी बड़ी चीजें होती है, जो कुंडली के दो बड़े घरों को संतुलित करने का काम करती है.
इन दो चीजों का नाम 'सेवा' और 'दान' है.
कुंडली के 2 सबसे नेगेटिव हाउस
6वां और 12वां भाव कुंडली के दो बड़े नकारात्मक भाव होते हैं. 6वां भाव षड्रिपु होता है, जो मन के 6 शत्रु काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह और मात्सर्य को दर्शाता है.
कुंडली में 6ठें भाव के सक्रिय होने से कर्ज बढ़ना, बीमार होना या फिर कोर्ट से जुड़े मामलों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में कुंडली में 6ठें भाव की नकारात्मकता को कम करने का सबसे अच्छा तरीका सेवा करना.
सेवा का असली अर्थ है, निस्वार्थ भाव से किसी काम को करना, जहां हाथ पैर चले, मेहनत हो पर कुछ पाने की इच्छा बिल्कुल भी न हो.
गुरुवाणी के अनुसार- जित्थे में मुकदमा उत्थे होती है सेवा सिख धर्म में सेवा को काफी महत्व दिया गया है.
12 भाव खर्च से जुड़ा
कुंडली का दूसरा सबसे नकारात्मक भाव 12वां भाव होता है. जिसे खर्च का भाव भी कहा जाता है. 12वां भाव सक्रिय होने पर बेहिसाब खर्चे बढ़ने के साथ नींद न आने और अकेलेपन की समस्या सताती है. 12वें हाउस को संतुलित करने का सबसे बेहतर उपाय Charity यानी दान करना है.
दान का मतलब किसी जरूरतमंद की समय, पैसे या चीजों से मदद करना है. दान और सेवा सिख धर्म के अविभाज्य तत्व हैं. इसी वजह से सिख गुरुओं ने सेवा और दान को अपने रीति रिवाजों में शामिल ही नहीं किया अपितु इसे सिख धर्म की रीढ़ की हड्डी भी बनाया है.
जीवन की 70 प्रतिशत समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हमें सिख धर्म की इन चीजों को अपनी आदतों में शामिल करना चाहिए.
Disclaimer यहां दी गई जानकारी मान्यताओं और ज्योतिषीय विश्लेषण पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता. किसी भी उपाय को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.
Frequently Asked Questions
सिख धर्म में शादी या जीवन के अहम फैसलों के लिए कुंडली क्यों नहीं देखी जाती है?
कुंडली के कौन से दो भाव नकारात्मक माने जाते हैं और सिख धर्म में उन्हें कैसे संतुलित किया जाता है?
कुंडली के छठा भाव (षड्रिपु) और बारहवां भाव (खर्च) नकारात्मक माने जाते हैं। सिख धर्म में सेवा (निस्वार्थ भाव से कार्य) छठे भाव को और दान (जरूरतमंदों की मदद) बारहवें भाव को संतुलित करता है।
सिख धर्म में 'सेवा' का क्या महत्व है?
सेवा का अर्थ है निस्वार्थ भाव से किसी काम को करना, बिना कुछ पाने की इच्छा रखे। गुरुवाणी के अनुसार, जहाँ मुकदमा होता है, वहाँ सेवा होती है।
सिख धर्म में 'दान' का क्या महत्व है?
दान का अर्थ है किसी जरूरतमंद की समय, धन या वस्तुओं से मदद करना। यह कुंडली के बारहवें भाव को संतुलित करने का सबसे बेहतर उपाय है।
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