सफलता की कुंजी: बड़ों के सम्मान में छिपी है तरक्की की राह, हरसंभव बनाए रखें आदरभाव
Success key Respect : वरिष्ठों के प्रति अनुशासन आज्ञाकारिता और सम्मान का भाव व्यक्ति को सफल बनाता है.
बड़ों के प्रति सम्मान का भाव रखने वाला व्यक्ति सफलता के सोपान तेजी से चढ़ता है. आदरभाव में ग्राह्यता होती है. सीखने व समझने की स्थिति रहती है. ऐसे में व्यक्ति हमेशा विकास पथ पर अग्रसर बना रहता है. यही कारण है कि घर के बड़े हमेशा वरिष्ठों को आदर देने की बात कहते हैं.
घर हो या बाहरी कार्य व्यापार बड़ों से ढेर सारी बातें जानने को मिलती हैं. ये सभी बातें आप तक तभी पहुंचती हैं जब देने वाले के प्रति आदर और सम्मान का भाव रहता है. बड़ों से हमें जीवन के अनोख संस्मरण सुनने को मिलते हैं. उम्र, पद और योग्यता के स्तर पर कोई भी हमसे बड़ा हो सकता है. उससे पाने का भाव सदा रहना चाहिए. यह स्थिति हमें तथ्य स्वीकार करने को प्रेरित करती है.
भारत के एक पड़ोसी मुल्क में कहावत है कि बुजुर्ग की मृत्यु एक पुस्तकालय के नष्ट होने के समान होती है. इसे बढ़ाकर देखा जाए तो एक अनुभवी का हमसे दूर होना पूरे एक कालखंड के बिछड़ जाने के समान है. छात्र तभी तक अध्ययन में अच्छा कर पाते हैं जब तक शिक्षकों के प्रति सम्मान रखते हैं. बड़ों पर भी यही बात लागू होती है.
असम्मान का भाव व्यक्ति को सीखने और समझने की प्रक्रिया से रोकता है. उम्र के पड़ाव में सीखने जानने की गति धीमी होने लगे तो समझ लीजियेगा कि आपके विकास की प्रक्रिया ठहर गई है. इसे गतिशील बनाए रखने के लिए बड़ों के प्रति विनम्रता बनाए रखना श्रेयष्कर होता है. बड़ों के अनुभवों से सीखना जीवन में ज्ञानानुभव पाने का सबसे सरल और प्रभावी ढंग है. इसके अतिरिक्त अन्य सभी तरीके बोझिल और व्ययपूर्ण हैं. कम प्रयास में अधिक मिलना बड़ों के सम्मान में भाव में ही संभव है. इसलिए आदरभाव बनाए रखिए.
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