इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, जन्नत में शौच करने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि पसीना आएगा जिसकी महक कस्तूरी जैसी होगी। व्यक्ति को कम से कम शौच का प्रयोग करना चाहिए।
इस्लाम में शौच के हैरान कर देने वाले नियम! क्या आप जानते हैं टॉयलेट में ये गलतियां पाप बढ़ाती हैं?
Defecation and toilet rules in Islam: एकेश्वरवाद को मानने वाला इस्लाम धर्म जहां जीवन शैली से जुड़े ऐसे कई नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है. इन्हीं में शौचालय से जुड़े भी कई नियम हैं.

Islam Rules defecation and toilet: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम, जो एकेश्वरवाद पर विश्वास करता है. 7वीं सदी में पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व) द्वारा अरब प्रायद्वीप में इस्लाम की शुरुआत हुई. इस्लाम में जीवन शैली से जुड़े कई नियम हैं, जिनका पालन करना हर मुस्लिम के लिए जरूरी है.
इस्लाम धर्म में शौच क्रिया करते समय व्यक्तिगत स्वच्छता से जुड़े कई तरह के नियम हैं. इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि, कोई भी बात कुरान में नहीं है. ये सभी हदीस और इतिहास के विभिन्न लोगों द्वारा जुटाई गई जानकारी पर आधारित है.
शौचालय से जुड़ी एकमात्र बात जिस पर कुरान में लिखा है, वो है हाथ धोना, खासकर तब जब आप शौचालय से होकर आते हैं. इसका जिक्र कुरान की आयत 5:6 में किया गया है.
इस्लाम में शौच क्रिया से जुड़े ये नियम इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी से लिए गए हैं, जिसमें बताया गया है कि,
शौचालय जाते हुए बाएं पैर का इस्तेमाल करना चाहिए और बाहर निकलते वक्त दाएं पैर का.
टॉयलेट में किसी को भी लंबे समय तक रुकना, बैठना, बोलना, गाना या किसी भी तरह की किताब को पढ़ना नहीं चाहिए.
पेशाब या शौच करते समय कभी भी मक्का की ओर मुख या पीठ करके बैठने से बचना चाहिए.
किसी भी व्यक्ति को अपने गुदा पर लगे मल को कभी भी उंगली से साफ करना चाहिए, फिर अच्छे से हाथों को साफ करें.
शौच करने के बाद गुप्तांगों की सफाई करते समय, पुरुषों को पीछे से आगे की ओर धोना चाहिए, जबकि महिलाओं को आगे से पीछे की ओर धोने की सलाह दी जाती है. इससे गुप्तांगों की गंदगी अच्छे से साफ होगी.
शौच करते समय किसी को भी अपने गुप्तांगों को दिखाने से बचना चाहिए.
व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए कि, कम से कम शौच का प्रयोग करें, क्योंकि शरीर के प्राकृतिक कार्य पापपूर्ण और अशुद्ध होते हैं.
शौचालय का प्रयोग करते समय खाना नहीं खाना चाहिए.
इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, जन्नत में हमें शौच करने की जरूरत नहीं होगी. इसके बजाए हमें पसीना आएगा और उस पसीने की महक कस्तूरी जैसी होगी.
हबीब बिन सालेह ने बताया है कि, जब अल्लाह के रसूल शौचालय जाते थे, तो वे जूते पहनने के साथ सिर को कपड़े से ढक लेते थे.
यदि आपके घर में शौचालय की का मुख मक्का की ओर है तो कुछ पैसे खर्च करके उसी दूसरी दिशा में बनवाएं. क्योंकि हर बार शौचालय इस्तेमाल करने से आपके पाप बढ़ते चले जाएंगे.
आयशा (अल्लाह की पत्नी) कहती हैं कि, जो कोई कहे कि, अल्लाह के रसूल खड़े होकर पेशाब करते थे, उन पर विश्वास करने से बचें. वे बैठकर पेशाब करते थे. मरने के बाद क्रब में एक सजा का कारण खड़े होकर पेशाब करना भी है.
शौचालयों का प्रयोग करते वक्त कहना चाहिए कि, हे अल्लाह मैं आपसे नर और मादा दोनों शैतानों से सुरक्षा की मांग करता हूं.
मुस्लिम महिलाओं को खुद को साफ करते समय बाएं हाथ की हथेली के निचले भाग से खुद को साफ करना चाहिए और पैरों को बहुत अधिक चौड़ा फैलाना से बचना चाहिए.
मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक बिना वजह अपने गुप्तांगों को देखने से बचना चाहिए. ऐसा करने से दिमागी क्षमता कमजोर होती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Frequently Asked Questions
इस्लाम में शौच के संबंध में क्या मान्यताएं हैं?
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