खरना प्रसाद गुड़ से बनी खीर और रोटी है, जो छठ महापर्व के दूसरे दिन व्रती द्वारा बनाया जाता है. यह भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है.
Chhath 2025 Kharna Prasad: आज खरना, छठी मैया को खुश करने के लिए सही विधि से चढ़ाएं खीर-रोटी!
Chhath 2025 Kharna Prasad: आज छठ का दूसरा दिन खरना है. व्रती आज पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम के समय में गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाया जाता है. जिसे पूरे विधि के साथ चढ़ाया जाता है.

Chhath 2025 Kharna Prasad: आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है, जिसे खरना के नाम से जाना जाता है. इस दिन को बहुत ही पवित्र और आस्था से भरा माना गया है. आज के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर, शाम के समय पारंपरिक रूप से गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करते हैं, जिसे मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है.
इसके बाद सूर्य देव को प्रसाद अर्पित कर उनकी पूजा की जाती है, फिर व्रती यह प्रसाद ग्रहण करते हैं. व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद से शुरू होता है, 36 घंटे का निर्जला उपवास.
खरना प्रसाद चढ़ाने की विधि
- संध्या के समय जब सूर्य अस्त होने लगता है, तब व्रती स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है. उसके बाद नए चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर और गेहूं की रोटी बनाई जाती है.
- इस प्रसाद को बनाते वक्त शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. जिसमें नए मिट्टी या पीतल के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है.
- खीर और रोटी का प्रसाद बनने के बाद, उसे केले के पत्तों पर रखा जाता है. प्रसाद के रूप में केला, दूध और अन्य फल भी रखें जाते हैं. फिर दीप जलाकर सूर्य देव और छठी मैया का स्मरण किया जाता है.
- सूर्य देव को अर्पित करने के बाद, व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे, उसके बादल घर के अन्य सदस्य में इस प्रसाद को बांटा जाएगा.
- प्रसाद ग्रहण करते ही व्रती का 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, जो उषा अर्घ्य के तक चलता है.
प्रसाद का महत्व
खरना की खीर और रोटी सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है. इसे व्रती द्वारा पूरे परिवार में बांटने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है. लोक मान्यता है कि जो व्रती इस प्रसाद को सच्चे मन से बनाते और अर्पित करते है, उसके जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और मां छठी की असीम कृपा भी प्राप्त होती है.
इन बातों का रखें ध्यान
- व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखें.
- पूजा स्थल और प्रसाद बनाते समय पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें.
- शाम को प्रसाद बनाते समय नए वस्त्र पहने और प्रसाद को जूठा ना होने दें.
- खरना के बाद व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और व्रत के समाप्ति तक जमीन पर सोना चाहिए.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Frequently Asked Questions
खरना प्रसाद क्या है?
खरना प्रसाद बनाने की विधि क्या है?
शाम के समय, व्रती स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर, नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़-चावल की खीर और गेहूं की रोटी बनाते हैं. प्रसाद में केला, दूध और फल भी रखे जाते हैं.
खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद क्या शुरू होता है?
खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है, जो उषा अर्घ्य तक चलता है.
खरना प्रसाद का क्या महत्व है?
खरना प्रसाद को परिवार में बांटने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है. ऐसा माना जाता है कि इससे नकारात्मकता दूर होती है और मां छठी की कृपा प्राप्त होती है.
खरना के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
पूरे दिन निर्जला उपवास रखें, पूजा स्थल और प्रसाद बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखें. प्रसाद को जूठा न होने दें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
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