बुजुर्ग माता-पिता की बिगड़ती सेहत का इस तरह लगाएं अंदाजा, ये संकेत आपकी करेंगे मदद
बिगड़ती सेहत का अंदाजा सिर्फ जाहिरी तौर को देखकर ही नहीं लगाया जा सकता बल्कि ये उससे ज्यादा भी हो सकता है जैसे भूलना, मिजाज में बदलाव. आप घर में मौजूद बुजुर्ग व्यस्कों के व्यवहार का अवलोकन उनकी नई आदतों पर ध्यान देकर कर सकते हैं.

बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करना बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है. खास उम्र पर पहुंचने के बाद माता-पिता बच्चों की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं. लेकिन आप उन पर बच्चों की तरह पाबंदियां भी नहीं लगा सकते क्योंकि उन्हें लगेगा कि उनकी आजादी छीनी जा रही है. हालांकि, जिंदगी के इस पड़ाव पर सचेत रहने की जरूरत है. अगर आपको पता नहीं चल रहा है कि कब उनकी मदद करनी है, तो उनकी नई आदतों और बदले व्यवहार को देखें. बुजुर्गों में खराब होते स्वास्थ्य के कुछ संकेत आपकी जानकारी के लिए बताए जा रहे हैं.
व्यक्तित्व में बदलाव- आपके बुजुर्ग परिजनों में हर गुजरते दिन के साथ कुछ बदलाव हो सकते हैं लेकिन उनकी निशानदेही करना मुश्किल होगा. लिहाजा, आपको उनके व्यवहार में आए छोटे बदलावों को देखने होंगे. उनकी पसंद में दिलचस्पी का कम होना, मूड के पल-पल में तब्दीली जैसे संकेत हो सकते हैं. ये बदलाव छोटे हो सकते हैं लेकिन तत्काल ध्यान न देने से बड़े हो सकते हैं.
भूख की कमी- बुजुर्गों की आहिस्ता-आहिस्ता खुराक कम होने लगती है. खाने में एक चपाती खाने लगते हैं या भोजन छोड़ सकते हैं क्योंकि उन्हें भूख नहीं लगती. अगर ये संकेत दिखाई दें, तो समझिए ये बड़ी समस्या है और फौरन हल करने की जरूरत है. उससे कई परेशानियां भी हो सकती हैं और लंबे समय में बहुत नुकसानदेह हो सकती हैं.
भूलना- खराब होती सेहत का अन्य संकेत आसानी से याद न रख पाना होता है. चाभी खोना, बिल की अदायगी और दवाइयों के भूलने से आप खुद भी समझ सकते हैं. छोटी-छोटी ये घटनाएं बड़ी समस्या हो सकती हैं और सहज जिंदगी को बाधित कर सकती हैं. आपको इन संकेतों को देखने और उनकी दैनिक गतिविधियों जैसे बिल की अदायगी और दवाइयां लेने को जांचने की जरूरत होगी. ये उनके लिए और उसी तरह आपके लिए मददगार होगा. उसके अलावा, आपको तत्काल डॉक्टर की सलाह लेना मुनासिब रहेगा.
अस्पष्टीकृत घाव या खरोंच- उनके शरीर पर अस्पष्टीकृत घाव या खरोंच से भी आप उनकी खराब होती सेहत का अंदाजा लगा सकते हैं. यह गिरने का परिणाम या कोई दूसरी वजह से भी हो सकता है. उन्हें याद न रख पाने की वजह से हो सकता है बताने में उन्हें मुश्किल हो कि आखिर खरोंच की वजह क्या है. उसके अलावा, ये भी हो सकता है कि बुजुर्ग माता-पिता आप पर बोझ न बनना चाहते हों. लेकिन, जख्मों पर नजर रखने की आपकी जिम्मेदारी है क्योंकि इससे उनको कुछ गंभीर संक्रमण हो सकता है. उसके अलावा, ये आपका कर्तब्य है कि आप उन्हें महसूस कराएं कि आप उनके लिए बोझ नहीं हैं.
उचित फैसला लेने में अक्षम- सटीक फैसला लेने में अक्षम होना भी उनकी बिगड़ती सेहत का नतीजा है. मिसाल के तौर पर ठंड लगने के बावजूद एसी बंद करने का फैसला न लें पाएं या चूल्हा जलाने या बुझाने पर सटीक फैसला न कर सकें. इस तरह का व्यवहार संकेत होता है कि दिमाग के काम के साथ कुछ गड़बड़ी है.
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