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8 घंटे की लगातार नींद या दो हिस्सों में सोना, क्या है सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद?
कुछ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लगातार 7 से 8 घंटे की नींद सबसे नेचुरल और रेस्टोरेटिव मानी जाती है. क्योंकि शरीर सभी नींद के लेवल जैसे डीप स्लीप और रेम से आराम से गुजरता है.
नींद को लेकर अक्सर लोगों का बड़ा सवाल यही होता है कि सेहत के लिए क्या सही है. कई बार लोग इस चीज को लेकर भी कंफ्यूज रहते हैं कि एक बार में 8 घंटे की लगातार नींद या फिर इसे दो हिस्सों में बांटकर सोना क्या बेहतर होता है. कई लोग अपनी लाइफ स्टाइल के अनुसार नींद को लेकर अलग-अलग पैटर्न अपनाते हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार फर्क इस बात से पड़ता है कि आपकी नींद कितनी पूरी होती है और आप सुबह कितना फ्रेश महसूस करते हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे कि 8 घंटे की लगातार नींद या दो हिस्सों में सोना क्या सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है.
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कुछ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लगातार 7 से 8 घंटे की नींद सबसे नेचुरल और रेस्टोरेटिव मानी जाती है. क्योंकि शरीर सभी नींद के लेवल जैसे डीप स्लीप और रेम से आराम से गुजरता है, इससे मेमोरी, इम्यूनिटी, मूड और एनर्जी में सुधार होता है.
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जब वहीं कुछ लोग नेचुरल रूप से बाईफैजिक पैटर्न फॉलो करते हैं, जैसे रात में 6 से 7 घंटे और दिन में 20 से 30 मिनट की नींद लेते हैं. वहीं कई कल्चर में पहली नींद और दूसरी नींद का पैटर्न भी देखा गया है.
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इसे लेकर भी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आज की लाइफस्टाइल और कामकाजी दिनचर्या के हिसाब से एक लंबी नींद का ब्लॉक ज्यादा सही है. वहीं दो हिस्सों की नींद तभी सही है जब दोनों हिस्से लंबे हो और स्लीप साइकिल पूरा कर सके जो ज्यादातर दो लोगों के लिए मुश्किल होता है.
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वहीं एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर कुल नींद पूरी हो जाती है और आप फ्रेश महसूस करते हैं तो दो हिस्सों में बंटी हुई नींद भी ठीक हो सकती है. एक्सपर्ट्स नींद को लेकर बताते हैं कि नींद के लिए सबसे जरूरी नियमितता होती है.
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कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं की शिफ्ट वर्कर्स, नए पेरेंट्स, केयर गिवर्स और अनियमित शेड्यूल वाले लोग अक्सर दो हिस्सों में सोते हैं. उनके लिए यह पैटर्न परिस्थितियों के हिसाब से ठीक हो सकता है, लेकिन यह आम लोगों के लिए लंबे समय का समाधान नहीं माना जाता है.
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दरअसल फ्रेगमेंट नींद से स्लो वेव स्लिप कम हो सकता है, जो मेमोरी, इमोशनल बैलेंस और इम्यूनिटी से जुड़ा होता है. इससे दिनभर थकान, धीमी प्रतिक्रिया और कैफीन पर निर्भरता बढ़ सकती है. वहीं लंबे समय में यह नींद संबंधी समस्याएं भी बढ़ा सकता है.
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इसके अलावा ज्यादातर लोग रात में दो से चार बार बिना महसूस किए जागते हैं. वहीं यह आदत उस समय समस्या बन जाती है, जब जागने का समय बहुत बढ़ने लगे और कुल नींद में परेशानी आए. लंबे समय तक जागना तनाव, खराब आदतों या स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है.
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ऐसे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि एक ही बार की नींद ज्यादातर लोगों के लिए बेहतर होती है, नियमित स्लीप वेक शेड्यूल सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करना और शांत, ठंडा कमरा इसे आसान बनाता है.
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वहीं अनियमित नींद, बीच-बीच में जागना या दिन में ज्यादा सोना बॉडी क्लॉक को बिगाड़ सकता है ऐसे में एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि नींद को लेकर ऐसा पैटर्न चुनना जिससे दिनभर एनर्जी फोकस और मानसिक ताजगी बनी रहे.
Published at : 05 Dec 2025 06:21 PM (IST)
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