पेट की समस्या छोटी है या गंभीर? इन 5 टेस्ट करवाकर आप तुरंत कर सकते हैं पता
आजकल की खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से अधिकतर लोग पेट की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. ऐसे में इन टेस्ट से करें पता समस्या गंभीर है या हल्की

आजकल की खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से अधिकतर लोग पेट की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. जैसे- पेट में दर्द, पेट में ऐंठन, गैस, कब्ज और अपच बेहद आम बात हो गई है. यह सभी के पीछे का कारण खराब लाइफस्टाइल बताया जाता है. यह सब ऐसी चीजें हैं कि कुछ समय तक रहती है और फिर गायब हो जाती है. लेकिन अगर यह सब बीमारी गंभीर समस्या बनकर ज्यादा वक्त तक आपको परेशान करें तो फिर आपको इस पर विचार करना चाहिए. ऐसे में बिना समय बर्बाद किए आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए. शुरुआती स्टेज में डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. आइए जाने वह कौन से टेस्ट है?
पेट के लिए कौन सा टेस्ट होता है?
पेट में दिक्कत है तो इसका सीधा मतलब होता है कि इस संबंधी आपकी पाचन क्रिया से है. इसलिए कभी भी पेट की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए. बल्कि तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
मल का टेस्ट
पाचन तंत्र में किसी भी तरह की दिक्कत है या नहीं इसके लिए डॉक्टर सबसे पहले स्टूल टेस्ट करने की सलाह देते हैं. स्टूल से आपकी अंदरूनी गड़बड़ी का पता तुरंत लगाया जा सकता है.
कैलप्रोटेक्टिन टेस्ट
इस टेस्ट में व्यक्ति के स्टूल का नमूना लिया जाता है और जांच की जाती है कि इसमें कैलप्रोटेक्टिन का लेवल क्या है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कैलप्रोटेक्टिन एक तरह का प्रोटीन है. जो व्हाइट ब्लड सेल्स में पाया जाता है.
ओक्कुलट ब्लड टेस्ट
ओक्कुलट ब्लड टेस्ट में मरीज का स्टूल लिया जाता है. फिर इस टेस्ट में देखा जाता है कि कहीं स्टूल में ब्लड तो नहीं आ रहा है. इसमें चेक किया जाता है कि एनस के रास्ते में ब्लड बह तो नहीं रहा है. यह आंत के कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है.
एच. पाइलोरी टेस्ट
यह वायरस पेट में अल्सर पैदा करने का कारण होता है. इसे ब्रीथ टेस्ट कहते हैं. इस टेस्ट में मरीज को सबसे पहले C13-यूरिया नाम का एक कैप्सूल दिया जाता है. ऐसे में अगर एच. पाइलोरी पेट में होता है तो कैप्सूल रिएक्ट करता है. इस टेस्ट में लगभग 30 मिनट का वक्त लगता है. इस टेस्ट से पहले मरीजों को खाने के लिए मना किया जाता है.
हाइड्रोजन और मीथेन सांस टेस्ट
लैक्टोज असहिष्णुता और छोटी आंतों में वायरस ज्यादा बढ़ तो नहीं गई है इसका पता लगाने के लिए हाइड्रोजन और मीथेन ब्रीथ टेस्ट किया जाता है. इन दोनों टेस्ट से पहले मरीजो को 14 घंटे पहले तो कुछ भी खाने के लिए मना किया जाता है. इसमें लैक्टोज असहिष्णुता और शरीर में मीथेन के लेवल को भी मापा जाता है.
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Source: IOCL






















