ध्वनि प्रदूषण बढ़ाता है डिमेंशिया का जोखिम, इस तरह आप कर सकते हैं अपनों की सुरक्षा
अल्जाइमर भारत में डिमेंशिया के प्रमुख कारणों में से एक है. हाल के वर्षों में इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, ध्वनि प्रदूषण की चपेट में आना डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकता है.
डॉक्टरों का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण का लगातार संपर्क डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकता है, हालांकि म्यूजिक का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य पत्रिका में प्रकाशित हालिया रिसर्च के मुताबिक, ट्रैफिक के शोर की चपेट में आने से बुजुर्गों के बीच डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है. डॉक्टरों ने बताया कि दुनिया में भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने जा रहा है, और बुजुर्ग जनसंख्या देश में तेजी से बढ़ रही है. समाज के इस वर्ग को उम्र संबंधी दिक्कतें जैसे डिमेंशिया के विकसित होने का जोखिम है, जिसे अक्सर दिमाग की बीमारी या चोट से होनेवाली गंभीर मानसिक समस्या समझा जाता है और ये सोचने, याद करने और सामान्य व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है.
भारत में हाल के समय इस बीमारी के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन म्यूजिक सुनना इस जोखिम को छिपा सकता है. न्यूरोलॉजिस्ट श्रीजेथा रेड्डी ने माना कि म्यूजिक का सभी उम्र के लोगों पर सुखदायक प्रभाव पड़ता है, लेकिन निरंतर शोर मानसिक अशांति पैदा कर सकता है और बीमार होने के अनुभवों को उन लोगों में भी ट्रिगर कर सकता है जो डिमेंशिया या अल्जाइमर संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं. उन्होंने चेताया कि शोरगुल अल्जाइमर के मरीजों में डिमेंशिया के लक्षणों को जल्दी ट्रिगर कर सकता है.
म्यूजिक भावनात्मक, व्यवहार संबंधी देता है लाभ
न्यूरोलॉजिस्ट अभिनय कहते हैं कि संगीतमय ध्वनि का अल्जाइमर के कारण डिमेंशिया से पीड़ित होनेवाले लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने आगे बताया, "गाना सुनना या गाना भावनात्मक और स्वभाव संबंधी फायदा अल्जाइमर और डिमेंशिया पीड़ितों को दे सकता है. संगीतमय यादें अल्जाइमर रोग में अक्सर सहेज कर रखी जाती हैं क्योंकि संगीतमय याद से जुड़े दिमाग के प्रमुख क्षेत्र अपेक्षाकृत अप्रभावित रहते हैं."
बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए आप क्या कर सकते हैं
न्यूरो फिजिशियन चांगला प्रवीण ने इस तरफ इशारा किया कि बुजुर्ग मरीजों को अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, और बुजुर्ग आबादी के लिए इस समस्या को विकसित होने का कई कारण है. तेज और कर्कश आवाज जैसे ट्रैफिक की ध्वनि की चपेट में रहना भी बुजुर्गों में डिमेंशिया होने की एक प्रमुख वजह है. परिवार के बीच घर में रहनेवाले बुजुर्ग सदस्यों को शोरगुल से जरूर बचाया जाना चाहिए. ये किसी हद तक डिमेंशिया की शुरुआत को देर करने में मदद करेगा."
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