Marburg Virus: लोगों की आंखों से बह रहा है खून, खतरनाक इबोला की तरह जानलेवा है ये वायरस
मारबर्ग वायरस से मौत का खतरा 88% तक है. मतलब हर 100 मरीज में से 88 की मौत हो सकती है, जो इस वायरस से बच जाते हैं, उनमें लंबे समय तक कोई न कोई समस्या बनी रहती है.
New Dangerous Virus : कोरोना, इबोला और मंकीपॉक्स के बाद अब दुनिया में एक और खतरनाक वायरस का खतरा मंडरा रहा है. इस वायरस के होने पर आंखों से खून बहने लगता है. इस वायरस का नाम मारबर्ग (Marburg Virus) है. इस वायरस की चपेट में आने वाले 100 में से करीब 88 मरीजों की मौत हो जाती है. रवांडा में इस बीमारी से अब तक 6 जान चली गई है. इस वायरस की चपेट में आने से तेज बुखार चढ़ जाता है और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. आइए जानते हैं इस वायरस के बारें में...
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मारबर्ग वायरस कितना खतरनाक
WHO के अनुसार, मारबर्ग काफी तेजी से फैलने वाला वायरस है. इसमें बुखार और ब्लीडिंग होती है, जिससे लोगों की मौत हो सकती है. इस वायरस से संक्रमित के संपर्क में आने से दूसरे में भी संक्रमण फैल सकता है. यह संक्रमण किसी तरह के फ्लूड या कटी स्किन, ब्लड के संपर्क में आने से फैलता है. अगर संक्रमित से फ्लूड या ब्लड कहीं गिर भी जाए और उससे कोई सट जाए तो भी यह वायरस पकड़ सकता है. क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, मारबर्ग वायरस से अगर कोई संक्रमित होता है तो पहले चरण में पहुंचने में 5-7 दिन का वक्त लगता है.
मारबर्ग वायरस कहां से आया
सबसे पहले मारबर्ग वायरस 1961 में जर्मनी के फ्रेंकफर्ट में मिला था. करीब इसी समय मारबर्ग के मरीज बेलग्रेड और सर्बिया में भी मिले थे. यूगांडा से साइंटिफिक काम के लिए अफ्रीकन ग्रीन मंकी लाया गया था, जहां लेबोरेटरी से इसी बंदर से इस वायरस का फैलाव हुआ. इसके बाद अफ्रीका के कई देशों में यह वायरस फैला. इसके बाद कुछ समय के लिए वायरस थमा रहा लेकिन फिर 2008 में युगांडा पहुंचे एक शख्स को यह वायरस हो गया.
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मारबर्ग वायरस के लक्षण
तेज बुखार
ठंड लगना
तेज सिर दर्द
कफ, गले में खराश
मसल्स और जॉइंट में दर्द
स्किन पर रैशेज
छाती और पेट में दर्द
डायरिया
उल्टी होना
स्टूल से खून आना
आंख, नाक, मुंह और वैजाइना से खून निकलना
मारबर्ग वायरस का इलाज क्या है
मारबर्ग की अब तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है. हालांकि, इसे रोकने के लिए कई तरह से इलाज किया जाता है. खून रोकने के लिए कई दवाईयां डॉक्टर देते हैं. इसके साथ इम्यून थेरेपी भी दी जातीहै. इसमें दर्द की दवा, ऑक्सीजन दी जाती है.
मारबर्ग वायरस से कैसे बचें
चमगादड़ जहां हो वहां सतर्कता से जाएं.
खदान में काम करते समय मास्क, चश्मे, ग्लव्स पहनकर रखें
संक्रमित को कॉन्डम का यूज करना चाहिए.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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