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Blood Donation: क्या सही में ब्लड डोनेट करने से खून पतला होता है और हार्ट अटैक कम आता है?

Blood Donation: ब्लड डोनेट करने से खून का गाढ़ापन कम होता है. साथ ही दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा बेहद कम हो जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की सच्चाई.

Blood Donation: 'बल्ड डोनेट' यानी 'रक्तदान' को हमेशा महादान कहा गया है. बल्ड डोनेशन को लेकर अक्सर एक बात कही जाती है कि आप खून देकर सिर्फ दूसरों की जान ही नहीं बचाते हैं बल्कि आप अपनी सेहत को भी फायदा पहुंचाते हैं. ब्लड डोनेट करने के कई फायदे हैं. जैसे- इससे आपका स्ट्रेस कम होता है. आप इमोशनली फिट रहते हैं है. साथ ही आपको किसी भी तरह की नेगेटिव फीलिंग्स नहीं आती है. सबसे अच्छी बात यह है कि ब्लड डोनेटे करने से हार्ट अटैक का खतरा भी टला रहता है साथ दिल से जुड़ी बीमारी आपसे कोसों दूर रहेगी. एक सबसे शानदार और अच्छी बात यह है कि ब्लड डोनेट करने से आपका खून गाढ़ा नहीं होता क्योंकि खून गाढ़ा होना ही किसी भी बीमारी की शुरुआत है. 

18-55 साल के उम्र वाले कोई भी व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है

ब्लड डोनेट करने को लेकर लोगों की मानसिकता बनी हुई है कि लोग रक्तदान करने के बाद कमजोर हो जाते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कुछ नहीं होता है. डॉक्टर कहते हैं कि ब्लड डोनेट करने से किसी भी तरह का नुकसान तो नहीं है बल्कि फायदे बहुत हैं. इसके साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इसे करने से हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है. सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता के मुताबिक 18-55 साल के उम्र वाले कोई भी हेल्दी व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है. इसके कोई साइडइफेक्ट्स नहीं है. आपको बता दें कि जैसे ही आप ब्लड डोनेट करते हैं. कुछ घंटों के अंदर ही शरीर नया ब्लड बना लेती है. तो इस तरह से आपके शरीर में नया ब्लड भी बन जाता है और बल्ड गाढ़ा होने से भी बचा रहता है. हालांकि दूसरी तरफ यह भी सच है कि रेड ब्लड सेल्स बनने में 3-6 महीने का समय लग जाता है. इसलिए हर 6 महीने पर ही ब्लड डोनेट करना चाहिए. 

 ब्लड डोनेट करने से कार्डियोवैस्कुलर ठीक रहता है

डॉक्टर के मुताबिक जो व्यक्ति हर 6 महीने पर ब्लड डोनेट करते हैं उन्हें दिल संबंधी बीमारी होने का खतरा बेहद कम होता है. कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के डॉ. विनय भट्ट के मुताबिक ब्लड डोनेट करने से कार्डियोवैस्कुलर एकदम ठीक रहता है. खासकर कोई भी पुरुष अगर साल में एक से 2 बार भी ब्लड डोनेट करते हैं तो उनके बल्ड में आयरन की मात्रा कम करने में मदद मिलती है. जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है.

ब्लड डोनेट करते रहने से खून का गाढ़ापन भी कम होता है

ब्लड डोनेट करने से खून का गाढ़ापन कम होता है. साथ ही दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा बेहद कम हो जाता है. साल 2013 की स्टडी के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति रेग्युलर तौर पर ब्लड डोनेट करता है तो उसके शरीर में कॉलेस्ट्रोल और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रोल का लेवल कम होता है. जिससे कार्डियोवस्क्युलर डिजीज यानी दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बेहद कम हो जाता है. जो व्यक्ति आदमी या औरत साल में एक या दो बार ब्लड डोनेट करते हैं तो उनका खून भी गाढा नहीं होता जिससे दूसरी बीमारी पनपे. साथ ही साथ उन्हें दिल से जुड़ी बीमारी हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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