क्या आप कोविड-19 से संक्रमित थे? जानिए आपको वैक्सीन की कितनी खुराक की होगी जरूरत
कोरोना वायरस से सुरक्षा हासिल करने के लिए क्या वैक्सीन की एक खुराक पर्याप्त है? वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन लोगों को पहले कोविड-19 की बीमारी हो चुकी थी, उनके लिए एक डोज पर्याप्त है जबकि दूसरे ग्रुप का मानना है कि डेटा की कमी के चलते दो डोज की नीति में बदलाव लाना अभी मुश्किल है.
मोलेक्यूलर बायोलॉजिस्ट शेनन रोमानो को पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गईं. उन्हें अस्पताल में अपना लैब बंद करने के एक सप्ताह बाद लक्षण जाहिर होना शुरू हुआ. पहले उन्हें सिर दर्द हुआ, उसके बाद बुखार में बढ़ोतरी होती गई और फिर शरीर दर्द से टूटने लगा. उन्होंने बताया कि दर्द इतना ज्यादा था कि सोना और चलना मुश्किल हो गया, यहां तक कि शरीर का हर जोड़ तकलीफ देने लगा.
क्या कोविड-19 वैक्सीन की एक खुराक पर्याप्त है?
उनका कहना है कि ये अनुभव ऐसा था जिसे कभी नहीं दोहराना चाहतीं. जब उनको इस महीने के शुरू में कोविड-19 वैक्सीन के उपयुक्त माना गया, उन्होंने टीका लगवाया. इंजेक्शन के दो दिन बाद, उन्हें बिल्कुल परिचित लक्षणों का विकास हुआ. उन्होंने बताया, "जिस तरह मेरा सिर तकलीफ दे रहा था और जिस तरह मेरा शरीर दर्द कर रहा था, ये बिल्कुल उसी तरह था जब मुझे कोविड-19 का संक्रमण हुआ था." जल्द ही उन्हें बीमारी से निजात मिल गई, लेकिन डोज से होने वाला शरीर को तीव्र रिस्पॉन्स ने उन्हें हैरान कर दिया.
सुरक्षा के लिए एक डोज बनाम दो डोज पर बहस
एक नया रिसर्च इस सिलसिले में स्पष्ट करता है कि क्यों डॉक्टर रोमाना और दूसरे अन्य कोविड-19 पीड़ितों ने वैक्सीन के पहले डोज से अप्रत्याशित तीव्र रिएक्शन का अनुभव किया. सोमवार को ऑनलाइन जारी किए किए गए रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसे लोग जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे, उन्होंने उन लोगों के मुकाबले जो कभी संक्रमित नहीं हुए थे, पहले डोज के बाद अधिक बार थकान, सिर दर्द, ठंड, बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का अनुभव किया. इसके अलावा, कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों का एंटीबॉडी लेवल भी वैक्सीन का पहला और दूसरा डोज लगवाने के बाद बहुत ऊपर था.
इन नतीजों के आधार पर, शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों को पहले कोविड-19 की बीमारी हो चुकी थी, उन्हें वैक्सीन की सिर्फ एक डोज की जरूरत होगी. उनका मानना है कि वैक्सीन का एक टीका लगवाना पर्याप्त होना चाहिए. इससे दूसरा डोज लेने पर लोगों को अनावश्यक दर्द से छुटकारा मिल जाएगा और वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक भी बचेगी." हालांकि, कुछ वैज्ञानिक इस तर्क से सहमत हैं, लेकिन दूसरा ग्रुप ज्यादा सतर्क है. उनका मानना है कि नीति में बदलाव लाने से पहले, उन्हें डेटा देखने की जरूरत होगी, जिससे पता चले कि उन लोगों का एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को नकल बनाने से रोकने में सक्षम है.
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