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Oldest City: क्यों बनारस को कहते हैं दुनिया का सबसे पुराना शहर, क्या दिल्ली, बॉम्बे से भी पुराना है?

दुनियाभर में काशी यानी बनारस या कहे वाराणसी शहर को कौन नहीं जानता है. बनारस का इतिहास हजारों साल पुराना है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये दुनिया का सबसे पुराना शहर है? जानिए इस शहर का इतिहास कब का है.

दुनियाभर में भारत अपने समृद्ध इतिहास और संस्कृति के लिए जाना जाता है. भारत के कई ऐसे शहर हैं, जहां हजारों साल पुरानी धरोहरे मौजूद है. इसी में एक शहर काशी यानी बनारस भी है. बनारस और आज का वाराणसी सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है. आज हम आपको बताएंगे कि इस शहर का इतिहास कितने साल पुराना शहर है. 

बनारस

बनारस को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है. माना जाता है कि यहां पर शरीर त्यागने पर इंसान को मोक्ष मिलता है. दुनियाभर में बनारस को सबसे प्राचीन शहरों में गिना जाता है. ऐसा माना जाता है कि बनारस का इतिहास करीब 3000 साल पुराना है, यानी लगभग 11वीं शताब्दी का है. हालांकि कुछ विद्वानों का ऐसा भी दावा है कि गंगा किनारे बसा ये शहर 4000-5000 साल पुराना है.

आध्यात्मिक नगरी 

वाराणसी को भारत की आध्यात्मिक नगरी कहा जाता है. इसके अलावा दुनियाभर में इस शहर को 'बनारस' और 'काशी' के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में इस शहर का काफी महत्व है और इसे बेहद पवित्र स्थान माना जाता है. यहां मौजूद गंगा और भगवान शिव की वजह से इस शहर का अपना अलग आध्यात्मिक महत्व है. 

कैसे पड़ा वाराणसी नाम

इस शहर का नाम वाराणसी यहां मौजूद दो स्थानीय नदियों वरुणा नदी और असि नदी से मिलकर बना है. ये दोनों नदियां वरुणा और असि उत्तर और दक्षिण से आकर गंगा नदी में मिलती हैं. इसके अलावा इस शहर के नाम को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि प्राचीन काल में वरुणा नदी को वरणासि ही कहा जाता होगा, जिसकी वजह से यह शहर वाराणसी कहलाया है. इसके अलावा इस शहर को बनारस, काशी, भोलेनाथ की नगरी आदि नामों से भी जाना जाता है.

भगवान शिव ने बसाई ये नगरी

धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के मुताबिक वाराणसी शहर की उत्पत्ति या स्थापना भगवान शिव द्वारा करीब 5000 साल पहले की गई थी. इसके अलावा यहां खुद भगवान शिव काशी विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं, जो 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है. यही वजह है कि आज भी बनारस हिंदूओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. स्कन्द पुराण, रामायण, महाभारत, प्राचीनतम वेद ऋग्वेद समेत कई हिन्दू ग्रन्थों में इस शहर का उल्लेख मिलता है.

दिल्ली और मुंबई कब बसा

बता दें कि दिल्ली और मुंबई से बहुत पुराना इतिहास काशी का है. जानकारी के मुताबिक महाराज पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदरबरदाई की हिंदी रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और महरौली के गुप्त कालीन लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया था. दिल्ली में तोमरो का शासनकाल 900-1200 इसवीं तक माना जाता है. वहीं इतिहासकारों के मुताबिक दिल्ली को मुगलों के समय कई बार उजाड़ा और बसाया गया है. 

सपनों की नगरी मुंबई की कहानी सात टापुओं से शुरू होती है. इनको जोड़कर ही मुबंई शहर बसा है. ये सात टापू छोटा कोलाबा,वरली,माज़गांव,परेल,कोलाबा,माहिम,बॉम्बे टापू हैं. वहीं 19वीं सदी के अंत तक सारे टापू एक दूसरे से जुड़ चुके थे. वहीं आजादी के बाद मुंबई (तब बॉम्बे)को एक राज्य का दर्ज़ा मिला था. इससे पहले इसे बॉम्बे प्रेसिडेंसी कहा जाता था.

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