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महिलाएं शादी के बाद ही क्यों पहनती हैं बिछिया, इसके पीछे की साइंस क्या है
आपने अक्सर शादीशुुदा महिला के पैर की अंगुलियों में बिछिया देखी होगी, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस बिछिया के पीछे धार्मिक के अलावा साइंटिफिक कारण भी हैं.
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सनातन धर्म में विवाहित स्त्री को श्रृंगार करने का ज्यादा महत्व है. जिसमें माथे की बिंदी, मंगलसूत्र, चूड़ी, मंगललसूत्र, मांग टीका, झुमके और बिछिया जैैसी चीजें शामिल होती हैं. सनातन धर्म में स्त्री के हर श्रृंगार का अलग और विशेष महत्व है. जिसमें से कई चीजों के वैज्ञानिक कारण भी हैं. उन्हीं में से एक विवाहित स्त्री के श्रृंगार में शामिल होने वाली बिछिया है. सनातन धर्म में शादीशुदा स्त्री के पैरों में चांदी की बिछिया पहनने का रिवाज है. चलिए आज हम आपको इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण बताते हैं.
क्या है बिछिया पहनने के वैज्ञानिक कारण?
बिछिया पहनने का धार्मिक महत्व के अलावा वैज्ञानिक कारण भी हैं. बता दें महिलाओं के पैैरों की तीन उंगलियों की नस महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध रखती है. ऐसे में पैरों में बिछिया पहनने से प्रजनन क्षमता में मजबूती आती है. साथ ही उन्हें गर्भधारण करने में कोई भी समस्या नहीं आती.
क्या है बिछिया पहनने का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में बिछिया सोलह श्रृंगार का हिस्सा होती है. ऐसेे में धार्मिक मान्यता है कि बिछिया पहनने से वैवाहिक स्त्री के जीवन में सुख और शांति आती है. कहा जाता है कि स्त्री को पैरों की दूसरी और तीसरी उंगली में बिछिया पहननी चाहिए. कहा जाता है इससे पत्नी और पति के बीच संबंध अच्छे रहते हैं. साथ ही बिछिया पहनने से धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. साथ ही इससे नकारात्मक ऊर्जा भी दूर रहती है.
रामायण से भी है बिछिया का संबंध
कहा जाता है कि मां दुर्गा की पूजा के समय उन्हें बिछिया पहनाई जाती है. ये शुभ चीजों का प्रतीक मानी जाती है. वहीं सनातन धर्म में कुंवारी कन्याओं के बिछिया पहनने को अच्छ नहीं माना जाता है.
इसके अलावा बिछिया का संबंध रामायण से भी बताया जाता है. कहा जाता है कि जब रावण मां सीता का अपहरण करके ले जा रहा था, तब मां सीता ने अपनी बिछिया मार्ग में ही फेंक दी थी. उन्होंने ऐसा इस वजह से किया था ताकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम उन्हें सरलता से खोज सकें.
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