फ्रांसिस्को फ्रांको की डेथ एनिवर्सरी पर महिलाओं ने टॉपलेस होकर क्यों किया प्रदर्शन, क्या है वजह?
Topless Protest Francisco Franco Death Anniversary: फ्रेंको की मौत को 50 साल बाद भी महिलाओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. टॉपलेस प्रदर्शन ने दुनिया को याद दिलाया कि तानाशाही खत्म हो सकती है, लेकिन उसके जख्म नहीं.

स्पेन में तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रेंको की मौत के 50 साल पूरे होने पर महिलाओं ने ऐसा प्रदर्शन किया जिसने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. कई महिलाएं टॉपलेस होकर सड़कों पर उतरीं, हाथों में मैसेज लिखे प्लेकार्ड और शरीर पर पेंट किए नारे, लेकिन आखिर ऐसा विरोध क्यों? कौन-सी वजह थी जिसने आधी सदी बाद भी महिलाओं को इतनी तीखी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया? पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है. आइए जानें.
महिलाओं का प्रदर्शन
स्पेन में तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रेंको का नाम आज भी एक ऐसे युग का प्रतीक माना जाता है, जिसने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति और महिलाओं के अधिकारों को गहरी चोट पहुंचाई थी. उनकी मौत को 50 वर्ष पूरे होने पर, जहां समर्थक उन्हें देश का संरक्षक बताकर श्रद्धांजलि दे रहे थे, वहीं महिला अधिकार समूहों ने इस दिन को विरोध का प्रतीक बना दिया. राजधानी मैड्रिड और कई अन्य शहरों में महिलाओं ने टॉपलेस होकर प्रदर्शन किया, जो सोशल मीडिया पर भी तेजी से चर्चा का विषय बना. महिलाएं अपने शरीर पर कानूनी फासीवाद और नेशनल शेम जैसे नारे लिखती हैं.
क्यों हुआ ऐसा प्रदर्शन?
महिलाओं का कहना है कि फ्रेंको शासन में महिलाओं को सिर्फ एक घर तक सीमित जिम्मेदारी समझा जाता था. उन्हें नौकरी करने, राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने और यहां तक कि अपने जीवन से जुड़े फैसले लेने तक की भी आजादी नहीं थी. फ्रेंको के शासनकाल (1939–1975) में महिलाओं से जुड़े कानून बेहद कठोर थे, जैसे- शादीशुदा महिलाओं पर पति की अनुमति के बिना नौकरी करने पर पाबंदी, तलाक, गर्भपात और गर्भ निरोधकों पर कानूनी रोक, घरेलू हिंसा को अपराध के रूप में मान्यता नहीं, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को जेल और टॉर्चर का सामना आदि.
इन दबावों की यादें आज भी स्पेन की सामाजिक संरचना में मौजूद हैं. प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि वे फ्रेंको की विरासत को महिला दमन का काला अध्याय मानती हैं.
टॉपलेस होकर विरोध क्यों?
फ्रांसिस्को फ्रेंको की डेथ एनिवर्सरी पर लगभग हर साल महिलाएं टॉपलेस होकर प्रदर्शन करती हैं. उनका मानना है कि फ्रेंको शासन ने महिलाओं के शरीर, उनके पहनावे और उनके अधिकारों को नियंत्रित करने की कोशिश की थी. उसी प्रतीकवाद के तहत वे आज अपने शरीर को स्वतंत्रता का हथियार बनाकर सड़क पर उतरती हैं.
50 साल बाद भी क्यों है चर्चा?
फ्रेंको का शासन खत्म हुए आधी सदी हो चुकी है, लेकिन उसकी छाया आज भी स्पेन की राजनीति और समाज में दिखाई देती है. कई जगहों पर फ्रेंको की मूर्तियों को हटाया गया है. उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच टकराव रहता है.
आज के स्पेन में महिलाओं की स्थिति
स्पेन आज यूरोप के सबसे जागरूक देशों में गिना जाता है. वहां महिलाओं के अधिकारों के लिए मजबूत कानून है. घरेलू हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है, गर्भपात और LGBTQ+ अधिकारों पर प्रगतिशील नीतियां बनी हैं. फिर भी, महिलाओं का कहना है कि फ्रेंको की विरासत को समझना जरूरी है ताकि इतिहास खुद को दोहराने न पाए.
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Source: IOCL






















