कौन हैं 'तीसरी दुनिया के देश', जिन्हें अमेरिका में एंट्री नहीं देना चाहते डोनाल्ड ट्रंप?
Third World Countries: व्हाइट हाउस के पास गोलीबारी के बाद ट्रंप ने ‘थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज’ से माइग्रेशन रोकने की चेतावनी देकर दुनिया को चौंका दिया है. आइए जानें उन देशों की सूची में कौन-कौन शामिल हैं.

व्हाइट हाउस से कुछ ब्लॉक दूर हुई गोलीबारी ने अमेरिकी राजनीति को हिला दिया है, लेकिन असली तूफान तब उठा जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटना के बाद ‘थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज’ से माइग्रेशन पर पूरी तरह रोक लगाने की घोषणा कर दी. उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया, लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि आखिर उनके हिसाब से ये ‘तीसरी दुनिया के देश’ कौन हैं. अब सवाल यह है कि जिस शब्द का आज कोई आधिकारिक अर्थ ही नहीं है, उसके नाम पर किस देशों को अमेरिका की नई नीति का सामना करना पड़ेगा?
ट्रंप ने यह दावा भी किया कि केवल ‘रिवर्स माइग्रेशन’ यानी जो लोग पहले अमेरिका आ चुके हैं, उन्हें वापस भेजने से ही सिस्टम ठीक हो सकता है. उनका यह बयान अमेरिकी इतिहास की सबसे आक्रामक इमिग्रेशन पॉलिसी रीसेट में से एक माना जा रहा है. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किन देशों को ‘थर्ड वर्ल्ड’ कह रहे थे, जिसके बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों में कयासों का सिलसिला शुरू हो गया.
कहां से आया यह शब्द
कई लोगों के लिए ‘थर्ड वर्ल्ड’ शब्द का मतलब गरीब, पिछड़े और असुरक्षित देश होते हैं, लेकिन वास्तव में यह अवधारणा काफी पुरानी है. इतिहासकार बताते हैं कि इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार फ्रेंच डेमोग्राफर अल्फ्रेड सॉवी ने 1952 में अपने लेख ‘थ्री वर्ल्ड्स, वन प्लैनेट’ में किया था.
20वीं सदी के मध्य में जब दुनिया कोल्ड वॉर में बंट गई थी, तब देशों को तीन हिस्सों में बांटा गया:
फर्स्ट वर्ल्ड: अमेरिका, उसके NATO सहयोगी, पश्चिमी यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया.
सेकंड वर्ल्ड: सोवियत यूनियन, उसके सहयोगी, चीन और क्यूबा.
थर्ड वर्ल्ड: वे सभी देश जो कोल्ड वॉर में किसी भी पक्ष में शामिल नहीं हुए, जिनमें अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मिडिल ईस्ट के देश आते थे.
उस समय ‘थर्ड वर्ल्ड’ का मतलब गरीब देश नहीं, बल्कि ‘नॉन-अलाइन’ यानी किसी गुट से न जुड़े देशों से था. अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, ओशिनिया और कुछ एशियाई देश भी शामिल थे.
सोवियत यूनियन टूटने के बाद बदली परिभाषा
1991 में USSR के टूटने के बाद यह अवधारणा तकनीकी रूप से खत्म हो गई. इसके बाद ‘थर्ड वर्ल्ड’ शब्द धीरे-धीरे आर्थिक रूप से कमजोर या पिछड़े देशों का पर्याय बन गया.
आज संयुक्त राष्ट्र ने ऐसे देशों को Least Developed Countries के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसमें मुख्य रूप से वे राष्ट्र हैं जिनकी अर्थव्यवस्था कमजोर है, हेल्थकेयर सिस्टम पिछड़ा है और प्रति व्यक्ति आय काफी कम है.
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि US सरकार या US Immigration Department ने ‘थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज’ की कोई आधिकारिक परिभाषा तय नहीं की है.
यही वजह है कि ट्रंप के बयान के बाद अब यह सवाल और गहरा हो गया है कि वह किन देशों की ओर इशारा कर रहे हैं. क्या यह सिर्फ अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के LDC देशों पर लागू होगा या फिर व्यापक पैमाने पर उन देशों पर भी जो अमेरिका की नजर में सुरक्षा खतरा बन सकते हैं?
अमेरिकी राजनीति में बड़ा विवाद
ट्रंप का यह बयान चुनावी राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है. आलोचकों का कहना है कि ‘थर्ड वर्ल्ड’ शब्द का इस्तेमाल अस्पष्ट, भ्रामक और राजनीतिक है, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं है. वहीं समर्थकों का दावा है कि हाल की घटना के बाद सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरूरी है और कड़े इमिग्रेशन कदम देश को सुरक्षित बना सकते हैं.
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Source: IOCL






















