Stamp System: दुनिया में पहली बार कब और कहां शुरू हुआ था स्टाम्प सिस्टम, भारत में कैसे शुरू हुई यह व्यवस्था?
Stamp System: एमपी में 126 साल पुरानी मैनुअल स्टाम्प पेपर प्रणाली खत्म हो रही है. सरकार पूरी तरह ई-स्टाम्प की ओर बढ़ रही है. चलिए जानें कि दुनिया में सबसे पहले स्टाम्प पेपर की शुरुआत कहां हुई थी.

Stamp System: मध्य प्रदेश में एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है. करीब 126 साल पुरानी मैनुअल स्टाम्प प्रणाली अब बंद कर दी जाएगी. यानी अब आपको हाथ से खरीदे गए कागजी स्टाम्प नहीं मिलेंगे. सरकार ने घोषणा की है कि भविष्य में सिर्फ ई-स्टाम्प का ही इस्तेमाल किया जाएगा. यह बदलाव आने वाले कुछ महीनों में लागू कर दिया जाएगा. आइए जानें कि दुनिया में पहली बार स्टाम्प सिस्टम कब शुरू हुआ और यह भारत में कैसे आया.
क्यों जरूरी हुई ई-स्टाम्प व्यवस्था?
ई-स्टाम्पिंग का सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता और सुरक्षा है. पहले मैनुअल स्टाम्प पेपरों में नकली कागज, दोबारा उपयोग और फर्जीवाड़े के मामले आम थे. अब ई-स्टाम्पिंग में हर ट्रांजैक्शन को ऑनलाइन रजिस्टर किया जाएगा, जिससे फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. इसके साथ ही लोगों को अब लंबी लाइनों में लगकर स्टाम्प खरीदने की जरूरत नहीं होगी, वे ऑनलाइन भुगतान करके तुरंत ई-स्टाम्प डाउनलोड कर सकेंगे.
दुनिया में स्टाम्प सिस्टम की शुरुआत कहां से हुई?
स्टाम्प सिस्टम की जड़ें 17वीं सदी के यूरोप में हैं. सबसे पहले इंग्लैंड में 1694 में ‘स्टाम्प एक्ट’ लागू हुआ था. इसका मकसद कानूनी दस्तावेजों पर कर लगाकर सरकारी राजस्व बढ़ाना था. इसके बाद यह प्रणाली पूरे यूरोप में फैल गई, फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड जैसे देशों ने भी इसे अपनाया. इसी व्यवस्था के कुछ दशकों बाद, 1840 में ब्रिटेन ने दुनिया का पहला डाक टिकट पेनी ब्लैक जारी किया, जिसने डाक सेवाओं में भी क्रांति ला दी.
भारत में स्टाम्प प्रणाली की कहानी
भारत में स्टाम्प सिस्टम की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई. 1797 में विनियमन VI के तहत इसे लागू किया गया. शुरुआत में यह कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित था, लेकिन 1860 तक यह पूरे भारत में फैल गया. बाद में इसे भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के रूप में औपचारिक रूप दिया गया. इस अधिनियम के तहत सरकार को कानूनी दस्तावेजों, अनुबंधों, संपत्ति खरीद-बिक्री और समझौतों पर कर वसूलने का अधिकार मिला. यह कानून आज भी देश में लागू है, हालांकि अब इसका रूप डिजिटल हो चुका है.
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