Bimbisara Treasure: कहां है मगध सम्राट बिम्बिसार का खजाना, जिसे कोई नहीं पाया खोज; मिल गया तो मालामाल हो जाएगा भारत
Bimbisara Treasure: सम्राट बिम्बिसार की अपार संपत्ति और खजाना बिहार के नालंदा जिले में छिपा हुआ है. आइए जानते हैं इसे आज तक कोई क्यों नहीं खोज पाया.

Bimbisara Treasure: सम्राट बिम्बिसार के खजाने की कहानी प्राचीन भारत के सबसे दिलचस्प अनसुलझे रहस्यों में से एक है. 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में मगध साम्राज्य की शक्तिशाली शासक बिम्बिसार अपनी अपार संपत्ति, प्रशासनिक प्रतिभा और बौद्ध धर्म और जैन धर्म के संरक्षण के लिए जाने जाते थे. लंबे समय से चली आ रही कहानियों के मुताबिक उनका एक बड़ा शाही खजाना अभी भी बिहार में कहीं पर छिपा हुआ है. इतिहासकारों का मानना है कि अगर यह खजाना कभी मिल गया तो यह सबसे अमीर प्राचीन सभ्यताओं की संपत्ति को टक्कर दे सकता है.
सोन भंडार गुफाएं
ऐसा माना जाता है कि सम्राट बिम्बिसार का खजाना सोन भंडार गुफाओं में छिपा है. यह बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में वैभार पहाड़ियों की तलहटी में बसा हुआ है. सोन भंडार नाम का मतलब होता है सोने का भंडार. इसने सदियों से लोगों की जिज्ञासा जगाई है. ये दो चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं राजगीर के प्राचीन किलेबंद शहर के ठीक बाहर बसी हुई है जो कभी मगध साम्राज्य की राजधानी थी.
छिपी हुई संपत्ति के पीछे की कहानी
लोकप्रिय कहानियों के मुताबिक बिम्बिसार के बेटे अजातशत्रु ने सिंहासन पर कब्जा करने के लिए अपने ही पिता को कैद कर लिया था. सत्ता के इस हिंसक बदलाव के दौरान माना जाता है कि बिम्बिसार की रानी ने अजातशत्रु को इसे हासिल करने से रोकने के लिए शाही खजाने को सोन भंडार गुफाओं के अंदर छुपा दिया था. कहानी के कुछ हिस्सों में है दावा किया गया है कि खजाने को एक जादुई रूप से बंद पत्थर के दरवाजे के पीछे सील कर दिया गया था.
एक रहस्यमय शिलालेख जिसे कोई नहीं पढ़ सकता
सोन भंडार गुफाओं के सबसे बड़े रहस्य में से एक गुफा की दीवार पर दरवाजे जैसी संरचना के पास उकेरा गया एक शिलालेख है. ऐसा माना जाता है कि यह लिपि शंख लिपि या फिर एक गणितीय कोड में लिखी गई है. स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक यह शिलालेख वह चाबी या फिर पासवर्ड है जो सील किए गए खजाने के कक्ष को खोल सकता है.
कोई नहीं पहुंच पाया गुफा के अंदर
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान यह रहस्य और भी गहरा हो गया जब अधिकारियों ने खजाने की तलाश में सील की गई गुफा की दीवार को तोड़ने की कोशिश की. एतिहासिक रिकॉर्ड और साक्षी बताते हैं की गुफा के प्रवेश द्वार पर तोप के गोले दागे गए थे. इन असफल प्रयासों के काले जलने के निशान आज भी दिखाई देते हैं. बल का इस्तेमाल करने के बावजूद भी दीवार नहीं टूटी.
क्यों नहीं मिला किसी को यह खजाना
सोन भंडार गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत एक संरक्षित स्मारक हैं. खुदाई, ड्रिलिंग या फिर किसी भी तरह से खजाने की खोज करना सख्त मना है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का मुख्य लक्ष्य संरक्षण है ना कि कहानियों से प्रेरित होकर खोज करना.
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Source: IOCL
























