भारत में कब चली गई थी पहली बार शतरंज की चाल? इतिहास काफी पुराना है
Chess Introduced in India: भारत में काफी पहले से शतरंज का खेल खेला जाता रहा है. आज हम इतिहास के पन्ने से इसकी वो कहानी जानेंगे, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा.

Chess Introduced in India: शतरंज को एक बेहतरीन खेल माना गया है. भारत से इसका काफी पहले से लगाव रहा है. इस खेल को खेलने के लिए दिमाग और अच्छे निर्णय की आवश्यकता होती है तभी इसे जीता जा सकता है. इसे खेलने पर अच्छी-खासी दिमागी कसरत हो जाती है. शतरंज भारत समेत दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस खेल का जनक कोई और नहीं बल्कि भारत ही है. आज हम आपको बताएंगे कि इसकी पहली चाल कब चली गई थी. यानि कि इसका इतिहास क्या है?
चतुरंग है इसका पुराना नाम
शतरंज के खेल की जब भारत में शुरुआत हुई थी तब इसे 'चतुरंग' कहा जाता था, लेकिन समय के साथ इसका नाम बदल गया और वर्तमान में इसे हिंदी में 'शतरंज' बुलाया जाता है. दुनियाभर में लोग अंग्रेजी वर्ड 'चेस' के नाम से जानते हैं, जो कि भारत से ईरान होते हुए दुनिया में फैल गया. चेस यूरोपीय देशों द्वारा दिया गया नाम है. शतरंज के खेल की शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत के समय से चलता आ रहा है. हालांकि इसे पहचान गुप्तकाल में मिली थी. हालांकि इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं मिलता है कि पहली बार शतरंज की चाल कब चली गई थी. यही नहीं भारत में इस तरह के और भी कई खेलों का शुरुआत हुआ, जो समय के साथ समाप्त हो गया. कुछ आज भी चल रहा है.
कैसे चली जाती है शतरंज की चाल
शतरंज एक प्रकार का युद्ध खेल है. बता दें कि उस दौर में भारत में राजा होते थे और वो अक्सर युद्ध करते थे. ऐसे में इस खेल के जरिए वे न सिर्फ अपना मनोरंजन करते बल्कि खुद को मानसिक तौर पर मजबूत भी करते थे. इसमें दो अलग-अलग पक्षों के मोहरे होते हैं, जिनका मुख्य लक्ष्य एक दूसरे के पक्ष के राजा वाली मोहर को मारना होता है. इसे खेलने वाले को मानसिक तौर पर बहुत सतर्क रहना होता है. इसकी एक खास बात ये है कि इसमें रानी वाली मोहर बहुत ताकतवर होती है.
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