जब अपनी ही जमीन को कौड़ियों के दाम बेचने लगा था रूस, ये था कारण
रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक वक्त ऐसा भी था, जब रूस ने अपने देश की बहुत सारी जमीनों को बेच दिया था. जिसमें अलास्का भी है, जो आज अमेरिका के हिस्से में है.

आज शहर हो या गांव हर जगह जमीन की कीमत लगातार तेजी के साथ बढ़ रही है. दुनियाभर में हर जगह लोग सबसे ज्यादा जमीन में ही निवेश कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक देश ऐसा भी है, जिसने कौड़ियों के भाव में अपनी जमीन को बेच दिया था. जी हां, हम रूस की बात कर रहे हैं. जानिए कब रूस ने अपनी जमीनों को कौड़ियों के दाम पर बेचा था.
रूस
जानकारी के मुताबिक एक समय पर रूस के पास इतनी जमीनें थी कि उसको संभालना मुश्किल हो रहा था. इसी वजह से रूस ने अमेरिका को कौड़ियों के भाव अपनी काफी जमीन बेच दी थी. ये देश इतना बड़ा है कि अगर इसके एक छोर से दूसरे छोर की आप यात्रा करते हैं, तो आपको अपनी घड़ी का समय 11 बार बदलना पड़ेगा. आसान भाषा में 11 टाइम जोन से गुजरना पड़ेगा.
बहुत सस्ते में अमेरिका को बेची जमीन
बता दें कि कभी रूस का स्वर्ग कहा जाना वाला अलास्का अब अमेरिका का हिस्सा है. 30 मार्च 1867 को अमेरिका ने सोवियत यूनियन से अलास्का खरीद लिया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका ने अलास्का मात्र 72 लाख डॉलर यानी 45 करोड़ 81 लाख रुपये में खरीदा था. अलास्का बेचने का विचार सोवियत यूनियन के तत्कालीन फॉरेन मिनिस्टर अलेक्जेंडर मिखाइलोविच गोर्काकोव के दिमाग में आया था. कहा जाता है कि अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट एंर्डयू जॉनसन ने ही गोर्काकोव को इसके लिए राजी किया था. इसके बाद गोर्काकोव ने रूस के जार अलेक्जेंडर-II के सामने यह प्रस्ताव रखा और उन्हें अलास्का बेचने के लिए राजी कर लिया था.
दुनिया का सबसे बड़ा देश
रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है. ये देश इतना बड़ा है कि पूरी धरती की 10 प्रतिशत जमीन सिर्फ इस देश के पास है. ये देश इतना बड़ा है कि अगर आप इसके एक छोर से दूसरे छोर तक जाएंगे, तो आपको 11 बार अपनी घड़ी का समय बदलना पड़ सकता है. इस सफर को करने के लिए आपको दुनिया की सबसे लंबे रूट की ट्रेन का सफर भी करना होगा, जिसका नाम है ट्रांस साइबेरियन ट्रेन रोड है. ये ट्रेन नौ हजार किलोमीटर का सफर तय करती है और 8 टाइम जोन से गुजरती है.
अलास्का कीमती जमीन
कहा जता है कि रूस को अलास्का को बेचने का अभी भी पछतावा होता है. इसकी वजह है अलास्का में मौजूद भरपूर तेल के भंडार, गोल्ड व डायमंड माइंस है. इसे अब अमेरिका का ‘खजाना’ कहा जाता है. हालांकि रूस की जनता इसके खिलाफ थी. लेकिन इसके बावजूद इसके जार अलेक्जेंडर ने 30 मार्च 1867 को अलास्का बेचने के डॉक्यूमेंट्स पर साइन कर दिए थे.
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Source: IOCL






















