यूरेनियम में ऐसा क्या किया जाता है, जो बन जाता है परमाणु बम? जानें पूरा प्रोसेस
परमाणु बम जब हम यह नाम सुनते हैं तो हमारे सामने भयानक दृश्य बनते हैं, एक ऐसा दृश्य जिसमें मानवता का विनाश हो जाएगा. चलिए आपको बताते हैं कि परमाणु बनता कैसे है.

परमाणु बम जब हम यह शब्द सुनते हैं तो ऐसा लगता है कि मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में से एक, हिरोशिमा और नागासाकी की यादें ताजा हो जाती हैं. एक ऐसी घटना जिसको अमेरिका ने अंजाम दिया था और आज भी लोगों के अंदर उस घटना का दृश्य बैठा हुआ है. आज भी दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों को आपस में लड़ने नहीं देते हैं. भारत और पाकिस्तान इसका ताजा उदाहरण हैं.
इजरायल चाहता है कि ईरान परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र न बने वरना उसके आस्तित्व पर संकट आ जाएगा. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि परमाणु बम बनता कैसे है? आज हम आपको बताएंगे कि परमाणु बम में इस्तेमाल होने वाले यूरेनियम के साथ आखिर ऐसा क्या किया जाता है कि वह एक साधारण धातु से बदलकर एक महाविनाशकारी हथियार बन जाता है? इसका उत्तर छिपा है न्यूक्लियर फिजिक्स और यूरेनियम के विधि की जटिल प्रक्रिया में. चलिए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
यूरेनियम क्या होता है?
यूरेनियम एक भारी धातु है जो प्राकृतिक रूप से पृथ्वी में पाई जाती है. इसका सबसे सामान्य रूप है यूरेनियम-238 (U-238), लेकिन परमाणु बम में उपयोग के लिए जरूरी होता है इसका दुर्लभ आइसोटोप यूरेनियम-235 (U-235), जो प्राकृतिक यूरेनियम का मात्र 0.7 प्रतिशत होता है. U-235 ही वह तत्व है जो आसानी से nuclear fission यानी नाभिकीय विखंडन कर सकता है. यूरेनियम को बम के लिए तैयार करने की पहली प्रक्रिया है संवर्धन. इसका मतलब है यूरेनियम-235 की मात्रा को बढ़ाना. सामान्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए यूरेनियम को लगभग 3 से 5 तक संवर्धित किया जाता है, जबकि परमाणु बम के लिए 90 प्रतिशत या उससे अधिक U-235 की शुद्धता चाहिए होती है.
संवर्धन की प्रक्रिया में प्रमुख तकनीक होती है गैस सेंट्रीफ्यूज, जिसमें यूरेनियम को हेक्साफ्लोराइड गैस के रूप में घुमाया जाता है और उसकी अलग-अलग आइसोटोप्स को अलग किया जाता है.
हथियार योग्य रूप बनाना
एक बार यूरेनियम-235 उच्च स्तर तक संवर्धित हो जाए, उसे मेटल फॉर्म में बदला जाता है और विशेष संरचना में ढाला जाता है, जिसे core कहा जाता है. यह कोर दो या अधिक हिस्सों में विभाजित होता है जिन्हें बम में एक-दूसरे से अलग रखा जाता है, ताकि समय से पहले विस्फोट न हो. जब बम को ट्रिगर किया जाता है, तो यूरेनियम के ये टुकड़े तेजी से एक साथ लाए जाते हैं, जिससे क्रिटिकल मास बनती है. वह अवस्था जिसमें नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया शुरू होती है. एक छोटे से यूरेनियम कोर से निकलने वाली ऊर्जा हज़ारों टन टीएनटी के बराबर होती है. यह विस्फोट सिर्फ गर्मी और दबाव ही नहीं, बल्कि विकिरण (radiation) और परमाणु fallout भी उत्पन्न करता है, जो वर्षों तक इंसानों और पर्यावरण को प्रभावित करता है.
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Source: IOCL























