46 मीटर लंबी बुद्ध की मूर्ति, 20 एकड़ में मंदिर...थाईलैंड के जिस मंदिर में गए PM Modi, जानिए उसका इतिहास
वाट फो मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा राम प्रथम के शासन में हुआ था. इसे वाट फोटाराम के नाम से जाना जाता था और इसका इस्तेमाल शिक्षा और पारंपरिक थाई चिकित्सा के लिए किया जाता था.

Wat Pho Temple History: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय थाईलैंड यात्रा पर हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा के साथ बैंकॉक के सबसे पुराने और ऐतिहासिक वाट फो मंदिर (Wat Pho Temple) के दर्शन किए. इस मंदिर को लेटे हुए बुद्ध के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. वाट फो मंदिर को बैंकॉक का सबसे बड़ा मंदिर भी कहा जाता है, जो करीब 20 एकड़ में बना हुआ है. यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि हर साल देश-विदेश से लाखों टूरिस्ट इसे देखने और दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसे में हम आपको थाईलैंड के इस ऐतिहासिक मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं...
16वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
जानकारी के मुताबिक, वाट फो मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा राम प्रथम के शासन में हुआ था. शुरुआत में इस मंदिर को वाट फोटाराम के नाम से जाना जाता था और इस जगह का इस्तेमाल शिक्षा और पारंपरिक थाई चिकित्सा के लिए भी किया जाता था. राजा राम प्रथम के बाद अन्य राजाओं ने भी इस मंदिर का विस्तार किया और सुधार किए. कहा जाता है कि राजा राम तृतीय ने मंदिर परिसर में कई भव्य इमारतें और मूर्तियां बनवाई थीं. इसकी मुख्य बुद्ध की प्रतिमा भी इसी दौरान बनाई गई. मंदिर में पारंपरिक थाई दवाओं और जड़ी-बूटियों का भी विशाल भंडार है, जिसका उपयोग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा लोगों के उपचार के लिए किया जाता है.
लेटे हुए बुद्ध की मूर्ति देखने आते हैं लोग
थाईलैंड के प्रसिद्ध वाट फो मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र लेटे हुए बुद्ध की मूर्ति है. यह मूर्ति काफी विशाल है, जो 46 मीटर लंबी और 15 मीटर ऊंची है. कहा जाता है कि इस मूर्ति का निर्माण भी राजा राम तृतीय के शासनकाल में हुआ था. इस मूर्ति में सोने की पत्ती लगी हुई है. इस मंदिर में 1000 से ज्यादा छोटी-बड़ी बुद्ध की प्रतिमाएं भी हैं.
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