एक आदमी के कैसे बन जाते हैं दो वोटर आईडी कार्ड, EPIC नंबर भी कैसे हो जाता है अलग?
Voter ID Card Rules: बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दो EPIC नंबर के फेर में फंसे हैं. चलिए जानें कि कैसे किसी शख्स के दो वोटर आईडी कार्ड बन जाते हैं और EPIC नंबर भी कैसे अलग हो जाता है.

बिहार में चुनाव आयोग की तरफ से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानि SIR वोटर लिस्ट का रिवीजन किया जा रहा है. इस दौरान जो भी फर्जी वोटर होंगे और जिनके पास भारत की नागरिकता नहीं होगी उनके नाम लिस्ट से हटा दिए जाएंगे. इसको लेकर सबसे ज्यादा आपत्ति पूर्व उप मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी को थी. अब तेजस्वी यादव के खुद दो वोटर आईडी कार्ड निकल आए हैं, जिसके बाद मामला गरमाया हुआ है. रविवार को चुनाव आयोग ने चिट्ठी लिखकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मतदाता पहचान पत्र नंबर यानि EPIC नंबर का ब्यौरा देने के लिए कहा है.
इसी क्रम में यहां पर यह जानने की जरूरत है कि आखिर कैसे एक आदमी के दो वोटर आईडी कार्ड बन जाते हैं और तो और EPIC नंबर भी कैसे अलग हो जाते हैं. आइए समझते हैं.
कैसे बन जाते हैं दो वोटर आईडी
सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति का एक ही वोटर आईडी कार्ड होता है, लेकिन कई मामलों में कुछ लोगों के पास दो वोटर आईडी कार्ड भी देखे गए हैं. दरअसल यह इस तरह से होता है कि अगर कोई व्यक्ति एक जगह रहता है तो पहले वह वहां रहने के हिसाब से वोटर आईडी बनवा लेता है. जब वह किसी दूसरी जगह पर ट्रांसफर हो जाता है तो उसे वहां का वोटर आईडी कार्ड बनवाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में उसके दोनों वोटर आईडी कार्ड वैध कहलाते हैं.
क्या कहता है नियम?
लेकिन दो वोटर आईडी कार्ड होने वैध नहीं होता है, इसलिए अगर किसी के पास दो वोटर आईडी हैं, तो उनमें से एक को निरस्त कराना जरूरी होता है. दो वोटर आईडी कार्ड होना कानूनी रूप से अपराध है. यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत गंभीर उल्लंघन माना जाता है. किसी भी व्यक्ति के पास दो वोटर आईडी रखने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है, इसमें जुर्माना, जेल या फिर दोनों शामिल हो सकते हैं.
चुनाव आयोग के नियम के अनुसार एक व्यक्ति का नाम सिर्फ एक ही विधानसभा क्षेत्र की लिस्ट में दर्ज किया जा सकता है. एक से ज्यादा वोटर कार्ड रखना या फिर एक ही व्यक्ति के नाम पर दो अलग-अलग EPIC नंबर होना नियम के अनुसार गैरकानूनी है.
EPIC नंबर कैसे हो जाता है अलग?
सामान्यत: किसी मतदाता का EPIC नंबर चुनाव आयोग तो नहीं बदलता है. हर मतदाता के लिए यह एक यूनिक पहचान होती है और सामान्य बदलाव जैसे कि नाम, पता जैसी चीजें अपडेट होने पर भी यह नंबर नहीं बदला जाता है. अगर इसमें कोई खामी है, तब मतदाता के आवेदन के आधार पर EPIC नंबर में बदलाव किया जाता है. अगर किसी भी वजह से डुप्लीकेट EPIC नंबर जारी हो गया हो या फिर गंभीर क्लेरिकल या तकनीकी गलती हुई हो तो EPIC नंबर में बदलाव हो सकता है.
तब यह बदलाव ERO यानि इलेक्ट्रोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर करता है, न कि उम्मीदवार या फिर चुनाव आयोग के विवेक के आधार पर इसे किया जाता है. मतलब कि अगर किसी का EPIC नंबर बदला जाएगा तो वह सिर्फ प्रशासनिक सुधार के तहत होगा.
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