संसद में कितने तरह के होते हैं सत्र- जानिए क्या होता है इनमें अंतर
Types Of Parliament Session: संसद की ओर से साल में तीन बार सत्र का आयोजन किया जाता है. वहीं कई बार यह आयोजन चार बार भी किया जाता है. चलिए जानें कि संसद के हर सत्र में क्या फर्क होता है.

संसद के विभिन्न सत्रों के बारे में तो आपने सुना ही होगा. जैसे इस वक्त मानसून सत्र चल रहा है और इस दौरान देश के अलग-अलग मुद्दों पर पार्लियामेंट में चर्चा की जा रही है. हर साल संसद के हर सत्र को बुलाने की एक प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया में केंद्रीय मंत्रिमंडल, संसदीय कार्य मंत्रालय और राष्ट्रपति की अहम भूमिका होती है. सत्र को बुलाने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसकी तिथियों का निर्धारण किया जाता है कि वह सत्र कब से कब तक चलेगा. जिससे कि सांसद उन तिथियों के अनुसार अपनी कार्यसूची तय कर सकें. संसद में सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य होती है, इसलिए पहले से तारीख तय कर दी जाती है. चलिए जानें कि संसद के सत्र कितने तरह से होते हैं और उनमें क्या अंतर होता है.
सत्र क्या होता है और कितने तरह का होता है?
भारतीय संसद का सत्र एक अवधि होती है, जिसके दौरान सदन लगभग हर रोज बिना किसी रुकावट के चलता है और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है. इसमें तीन सत्र होते हैं, बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र. नियम के अनुसार हर सत्र में छह महीने का गैप होना चाहिए. हालांकि जरूरत पड़ने पर चार बार भी सत्र बुलाया जाता है, जिसे विशेष सत्र कहा जाता है. चलिए जानें कि इस दौरान क्या होता है.
बजट सत्र
इस दौरान सबसे पहले आता है बजट सत्र. यह सदन का सबसे जरूरी सत्र होता है, जो कि आमतौर पर फरवरी से मई तक चलता है. इसमें केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष का बजट पेश करती है. यह सत्र दो चरणों में होता है, पहला चरण बजट प्रस्तुति और सामान्य चरण का होता है. वहीं दूसरा चरण विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक पर चर्चा का होता है. इस सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति का अभिभाषण भी होता है, जिसमें सरकार की योजनाओं और नीतियों का उल्लेख किया जाता है. इसमें सरकार की ओर से बजट पेश किए जाते हैं, जिसमें जरूरी नीतियों पर चर्चा होती है.
मानसून सत्र
इस वक्त संसद में मानसून सत्र चल रहा है. आमतौर पर यह जुलाई से अगस्त या सितंबर तक आयोजित किया जाता है. मानसून सत्र में विधायी कार्यों और नीतिगत मुद्दों पर चर्चा की जाती है. इस दौरान विभिन्न विधेयक पेश किए जाते हैं. संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है.
शीतकालीन सत्र
शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर तक चलता है और संसद का अंतिम प्रमुख सत्र होता है. इस दौरान जनहित के मुद्दे, नीति समीक्षा और विधायी कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. इसमें भी महत्वपूर्ण विधेयक पारित और पास किए जाते हैं व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है. प्रश्नकाल और शून्यकाल में संसद सरकार से जवाब मांगा जाता है.
विशेष सत्र
अगर कोई आपातकालीन स्थिति या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा होता है तो फिर विशेष सत्र का आयोजन किया जाता है. यह सत्र राष्ट्रपति, मंत्रिमंडल की सलाह पर बुलाया जाता है.
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Source: IOCL























