टाइम मशीन के नाम पर यूपी में करोड़ों की ठगी, क्या वाकई में टाइम मशीन जैसा कुछ होता है?
टाइम मशीन को लेकर सबसे पहले बात लोकप्रिय उपन्यासकार हर्बर्ट जॉर्ज वेल्स ने की थी. दरअसल, उनके द्वारा लिखी एक काव्यात्मक कहानी "द टाइम मशीन" में इसका जिक्र मिलता है, जो 1895 में प्रकाशित हुई थी.
हॉलीवुड की फिल्मों में अक्सर ऐसी मशीनें देखने को मिलती हैं, जिनमें एक बूढ़ा आदमी जाता है और फिर जवान हो कर वापिस निकलता है. अब हॉलीवुड के इस आइडिया को एक व्यक्ति ने कानपुर में लोगों को यह कह के बेच दिया की उसके पास इजरायल की एक मशीन है और वह उसके जरिए बूढ़े लोगों को जवान बना देगा.
कर ली 35 करोड़ की ठगी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कानपुर के इस ठग ने ये बोल कर लोगों से 35 करोड़ की ठगी कर ली कि उसके पास एक टाइम मशीन है जो लोगों को जवान कर देती है. ये इंसान कानपुर में खासतौर से बुजुर्गों को अपना निशाना बनाता था और उनसे कहता था कि वह उन्हें एक मशीन के जरिए जवान कर देगा. कुछ बुजुर्ग उसके झांसे में आ गए और उन्होंने इसके लिए उसे पैसे भी दे दिए.
लेकिन, जब बुजुर्गों को पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है तो उन्होंने पुलिस का दरवाजा खटखटाया. खैर, अब हम इस खबर में आपको इस केस से जुड़ी चीजें ना बताकर ये बताएंगे कि क्या वाकई में टाइम मशीन जैसी कोई चीज होती है, जिससे व्यक्ति सच में बूढ़े से जवान हो सकता है.
क्या होती है टाइम मशीन
टाइम मशीन को लेकर सबसे पहले बात लोकप्रिय उपन्यासकार हर्बर्ट जॉर्ज वेल्स (H.G. Wells) ने की थी. दरअसल, उनके द्वारा लिखी एक काव्यात्मक कहानी "द टाइम मशीन" (The Time Machine) में इसका जिक्र मिलता है, जो 1895 में प्रकाशित हुई थी. आपको बता दें, हर्बर्ट जॉर्ज वेल्स को साइंस फिक्शन साहित्य का पितामह कहा जाता है. इस कहानी में एक किरदार होता है जिसे 'टाइम ट्रैवेलर' कहा जाता है. यह किरदार एक मशीन विकसित करता है जो उसे अलग-अलग टाइमजोन में पहुंचा देती है. बाद में इस कहानी से प्रेरित होकर कई हॉलीवुड फिल्में भी बनीं, जिसमें टाइम मशीन का कॉन्सेप्ट दिखाया गया.
टाइम ट्रैवेलिंग पर विज्ञान क्या कहता है
ऐसा नहीं है कि टाइम ट्रैवेलिंग पर सिर्फ साहित्यकारों ने बात की. विज्ञान भी इस पर अपना मत रखता है. आपको बता दें, अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत यह बताता है कि समय और स्थान एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और जब कोई वस्तु प्रकाश की गति के करीब यात्रा करती है, तो उसके लिए समय धीमा हो जाता है. यानी इस सिद्धांत के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रकाश की गति से यात्रा करे, तो वह भविष्य में पहुंच सकता है, हालांकि, किसी मशीन के द्वारा ऐसा किया जा सके, अभी तक ये पॉसिबल नहीं हो पाया है.
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