मुगलों के हरम में पुरुषों के प्रवेश पर होती थी रोक, फिर कौन करता था यहां की औरतों की सुरक्षा?
Mughal Harem Security System: मुगलों के हरम में मर्दों का प्रवेश भले ही वर्जित था, लेकिन इसकी सुरक्षा ऐसे हाथों में थी जो बादशाह से भी ज्यादा भरोसेमंद माने जाते थे. आइए जानें कि वे कौन थे.

मुगल साम्राज्य का नाम आते ही ताजमहल जैसी इमारतें, दरबारों की शानो-शौकत और बादशाहों की ताकत याद आती है, लेकिन इसी चमक-दमक के पीछे एक ऐसी दुनिया भी थी, जिसके दरवाजे आम पुरुषों के लिए हमेशा बंद रहते थे. यह दुनिया थी शाही हरम की रहस्यों, सियासत, प्रेम-घृणा और षड्यंत्र से भरी हुई. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब हरम में किसी भी पुरुष का प्रवेश वर्जित था, तो आखिर इन औरतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसके कंधों पर थी? यहीं से कहानी रोमांचक हो जाती है.
शाही हरम में किसी भी पुरुष के प्रवेश पर सख्त रोक थी. बादशाह के अलावा कोई भी मर्द यहां कदम नहीं रख सकता था, तो क्या हरम बिना सुरक्षा के था? बिल्कुल नहीं. यह जिम्मेदारी उन लोगों की थी जिन्हें मुगल साम्राज्य में एक खास जगह दी गई थी, किन्नरों की, जिन्हें उस समय ख्वाजासरा कहा जाता था.
हरम का सुरक्षा तंत्र: जहां किन्नर थे सबसे भीतर की ढाल
17वीं शताब्दी में डच यात्री फ्रेंचिस्को पेल्सर्ट ने मुगल दरबार का विस्तृत विवरण लिखा. उसमें उसने बताया कि किन्नरों की मुगल शासन में इतनी ऊंची स्थिति थी कि वे राजमहल के उन हिस्सों तक जा सकते थे जहां आम आदमी नहीं पहुंच सकता था. उन्हें बेहतरीन कपड़े, घोड़े और विलास-सामग्री दी जाती थी. वे बादशाह के बेहद भरोसेमंद होते थे.
इतिहासकार शादाब बानो भी लिखती हैं कि बाबर और हुमायूं के समय किन्नरों का कम जिक्र मिलता है, लेकिन अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब के समय में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई थी. किन्नरों पर ही हरम की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी रहती थी. वे न केवल पहरा देते थे, बल्कि हरम में रहने वाली महिलाओं और बच्चों की देखभाल भी करते थे.
अकबर के समय हरम के भीतर कई लेयर की सुरक्षा
इतिहासकारों की मानें तो अकबर ने हरम की व्यवस्था को कई हिस्सों में बांटा था. बाहरी सुरक्षा राजपूत सैनिकों के जिम्मे थी, लेकिन सबसे अंदर का सुरक्षा चक्र पूरी तरह किन्नरों पर टिका था. हरम की महिलाएं बादशाह का संदेश भी किन्नरों के जरिए ही प्राप्त करती थीं. बच्चों की परवरिश, महल की आंतरिक व्यवस्था और महिलाओं की व्यक्तिगत जरूरतों का ध्यान भी वही रखते थे.
पुरुष सैनिकों पर भरोसा क्यों नहीं किया जाता था?
मुगल बादशाह हरम को लेकर बेहद संवेदनशील और पजेसिव माने जाते थे. उन्हें डर रहता था कि अगर कोई सैनिक हरम में गया तो महिलाएं उस पुरुष की तरफ आकर्षित हो सकती हैं. इसी वजह से पुरुष सैनिकों को अंदर आने की अनुमति नहीं थी. यही कारण था कि हरम का सबसे सुरक्षित स्थान होने का श्रेय किन्नरों को मिला था.
किन्नर न केवल शक्ति और अनुशासन का प्रतीक थे, बल्कि हथियार चलाने में भी दक्ष थे. वे तलवारबाजी, घुड़सवारी और युद्धकला में प्रशिक्षित रहते थे. इतिहास में एक किन्नर नियामत का वर्णन मिलता है, जिसने अकबर के सौतेले भाई अधम खान को भी हरम में घुसने से रोक दिया था.
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Source: IOCL
























