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शिमला और मसूरी में फेमस है मॉल रोड... लेकिन इसका मतलब पता है आपको

Mall Road: शिमला, मनाली या मसूरी यह भारत के काफी बड़े हिल स्टेशन माने जाते हैं. सर्दियों के मौसम में इनकी रौनक देखते ही बनती है. यह सभी हिल स्टेशन सर्दी के मौसम में लाखों सैलानियों से भर जाते हैं.

Mall Road: भारत में सर्दियों के मौसम में आ चुके हैं और सर्दियों के मौसम में पर्यटन का एक अलग ही आनंद होता है. भारत में अधिकतर इस मौसम में लोग हिल स्टेशन जाना पसंद करते हैं. जिसमें टॉप पर शिमला, मनाली, मसूरी यह हिल स्टेशन आते हैं. अगर आप भी इन हिल स्टेशनों में कभी सैर करने गए होंगे. तो आपको एक रोड के बारे में जरूर पता होगा. यहां जो भी व्यक्ति घूमने जाता है वह इस रोड पर जरूर जाता है. इस रोड का नाम है मॉल रोड. माल रोड़ सभी हिल स्टेशनों की शान कही जाती है. लेकिन क्या आपको पता है मॉल रोड का नाम मॉल रोड कैसे पड़ा. आइए जानते हैं.

मॉल रोड का इतिहास

शिमला, मनाली या मसूरी यह भारत के काफी बड़े हिल स्टेशन माने जाते हैं. सर्दियों के मौसम में इनकी रौनक देखते ही बनती है. यह सभी हिल स्टेशन सर्दी के मौसम में लाखों सैलानियों से भर जाते हैं. इन शहरों में सबसे ज्यादा भीड़ होती है यहां की मॉल रोड पर. माल रोड जहां बेहद बढ़िया तुरकान सजी होती हैं जहां रेस्टोरेंट होते हैं. लेकिन इस मॉल रोड ही क्यों कहा जाता है और वह भी एक नहीं बल्कि इतने शहरों में. तो इतिहास में थोड़ा पीछे चलते हैं.

17वीं सदी में मॉल शब्द का इस्तेमाल घूमने वाली जगह या सड़क के रूप में किया जाता था. यहां लोग घूमना पसंद करते थे. उसके बाद 18वीं शताब्दी में जब अंग्रेजों ने भारत में राज करना शुरू किया था. तब उन्होंने मॉल रोड पर सैनिकों के रहने की व्यवस्था करवाई यहां उनके घर हुआ करते थे. आसान शब्दों में कहें तो मॉल रोड को उसे समय शादीशुदा कपल्स के लिए रहने वाली जगह लिविंग लाइन रोड कहा जाता था. बस तबसे ही फेमस है मॉल रोड. 

देश के इन शहरों में हैं माल रोड़

भारत में सिर्फ शिमला,मनाली या मसूरी में ही मॉल रोड़ नहीं है. बल्कि भारत के अन्य और हिल स्टेशनों में भी है. शिमला,मनाली या मसूरी के अलावा भारत के चार अन्य शहरों में भी माॅल रोड है जिम पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग शहर शामिल है इसके साथ ही उत्तराखंड के नैनीताल और देहरादून में भी माॅल रोड है. 

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About the author नीलेश ओझा

नीलेश ओझा पिछले पांच साल से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हैं. उनकी लेखन शैली में तथ्यों की सटीकता और इंसानी नजरिए की गहराई दोनों साथ-साथ चलती हैं.पत्रकारिता उनके लिए महज़ खबरें इकट्ठा करने या तेजी से लिखने का काम नहीं है. वह मानते हैं कि हर स्टोरी के पीछे एक सोच होनी चाहिए.  

कुछ ऐसा जो पाठक को सिर्फ जानकारी न दे बल्कि सोचने के लिए भी मजबूर करे. यही वजह है कि उनकी स्टोरीज़ में भाषा साफ़ होती है.लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से रहा है. स्कूल की नोटबुक से शुरू हुआ यह सफर धीरे-धीरे पेशेवर लेखन और पत्रकारिता तक पहुंचा. आज भी उनके लिए लेखन सिर्फ पेशा नहीं है यह खुद को समझने और दुनिया से संवाद करने का ज़रिया है.

पत्रकारिता के अलावा वह साहित्य और समकालीन शायरी से भी गहराई से जुड़े हुए हैं. कभी भीड़ में तो कभी अकेले में ख्यालों को शायरी की शक्ल देते रहते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता का काम सिर्फ घटनाएं गिनाना नहीं है. बल्कि पाठक को उस तस्वीर के उन हिस्सों तक ले जाना है. जो अक्सर नजरों से छूट जाते हैं.

उन्होंने स्पोर्ट्सविकी, क्रिकेट एडिक्टर, इनशॉर्ट्स और जी हिंदुस्तान जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स के साथ काम किया है.

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