क्या ICC रद्द कर सकती है शेख हसीना की मौत की सजा, जान लें इसकी पावर?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है. आइए जानें कि इसके लिए हसीना के पास क्या ऑप्शन हैं और क्या ICC का फैसला उनकी मौत की सजा को टाल सकता है.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल से मिली मौत की सजा ने पूरे दक्षिण एशिया में हलचल मचा दी है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह फैसला अंतिम है या इसे किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत में चुनौती दी जा सकती है? खासकर, क्या हेग में स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) इस सजा को रोककर हसीना के लिए राहत का दरवाजा खोल सकती है? चलिए जानते हैं.
हसीना के अब कौन से रास्ते?
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा ने राजनीतिक, संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस को जन्म दिया है. फैसले के बाद से सबसे बड़ा सवाल यही है कि हसीना के पास इस सजा को चुनौती देने के कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं और क्या इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) इसमें किसी तरह हस्तक्षेप कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बांग्लादेश की कानूनी प्रक्रिया इस मामले में क्या कहती है. ICT एक्ट, 1973 की धारा 21 के तहत ICT के किसी भी फैसले के खिलाफ दोषसिद्ध व्यक्ति को सीधे बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का पूरा अधिकार है. यह अपील आमतौर पर 30 से 60 दिनों के भीतर दायर की जाती है. यहां तक कि यदि किसी आरोपी को अनुपस्थिति में दोषी ठहराया गया हो, तब भी अधिकृत वकील उसकी ओर से अपील दायर कर सकते हैं.
क्या है दूसरा रास्ता?
इसके अलावा, बांग्लादेश के राष्ट्रपति के पास संविधान के तहत क्षमा, दंड में कमी या दंड बदलने की शक्ति भी है, जिसे Clemency Power कहा जाता है. इसका मतलब है कि ICT के फैसले के बाद सबसे पहला और सीधा रास्ता घरेलू न्यायिक और संवैधानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से ही निकलता है. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका तभी महत्वपूर्ण होती है जब घरेलू उपाय पूरी तरह समाप्त हो जाएं.
क्या ICC इस फैसले को कर सकता है रद्द?
अब बात ICC की करें तो ICC किसी भी राष्ट्रीय अदालत के फैसले को रद्द या ओवररूल करने की शक्ति नहीं रखता है. इसकी भूमिका स्पष्ट रूप से नई अंतरराष्ट्रीय आपराधिक जांचों में होती है, न कि किसी देश के चल रहे या पूर्ण हो चुके मुकदमों की अपील में.
ICC तीन परिस्थितियों में किसी मामले में हस्तक्षेप कर सकता है-
संबंधित देश खुद मामला ICC को सौंप दे,
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इसे ICC को रेफर करे,
ICC अभियोजक स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरू करे.
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Source: IOCL
























