हजारों साल पहले विलुप्त हो गए Dire Wolves दोबारा हुए जिंदा, तो क्या डायनासोर भी आ सकते हैं वापस?
Scientists Revive Dire Wolf: अमेरिका में वैज्ञानिकों ने तकनीक की मदद से हजारों साल पहले विलुप्त हो चुके भेड़ियों को फिर स जिंदा कर दिया है. ऐसे में सवाल है कि क्या डायनासोर भी जिंदा हो सकते हैं.

विज्ञान के चमत्कार की गवाह तो पूरी दुनिया है. विज्ञान चाहे तो क्या चीज संभव नहीं हो सकती है. यहां तक कि विज्ञान की वजह से ही मरे हुए इंसान को दोबारा जिंदा किए जाने की उम्मीद है. फिलहाल इंसान तो जिंदा नहीं हो पाया है, लेकिन विज्ञान के चमत्कार की वजह से हजारों साल पहले विलुप्त हो चुकी एक भेड़िए की प्रजाति को वैज्ञानिकों ने जरूर जिंदा किया है, जो कि हैरानी से कम नहीं है. अमेरिका के डलास की एक कंपनी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो सच में किसी चमत्कार से कम नहीं है. आइए इस बारे में थोड़ा विस्तार से जानें-
किस तकनीक के जरिए जिंदा हुए भेड़िए
अमेरिका के डलास में कोलोसैल बायोसाइंसेड ने विलुप्त हो चुके जानवर को दोबारा से जिंदा करने में सफलता हासिल की है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो इसका कहना है कि कंपनी ने करीब 12,000 साल पहले विलुप्त हो चुकी डायर वुल्फ की प्रजाति को दोबारा से जिंदा कर लिया है. कोलॉसल ने इसके लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है, उसे जीन एडिटिंग तकनीक कहा जाता है. इस तकनीक के जरिए स्वास्थ्य और जैव विविधता के क्षेत्र में भी उपयोगी चीजों के विकास की संभावनाएं जताई जा रही हैं.
कैसे धरती पर लौटे डायर वुल्फ
इस कंपनी ने हजारों साल पहले पुराने दांत और 72 हजार साल पहले खोपड़ी ने निकले हुए डीएनए का इस्तेमाल करके CRISPR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया और 14 जीन में 20 एडिटिंग की. फिर इन एडिटेड सेल्स को क्लोन किया गया, इसके बाद घरेलू फीमेल डॉग्स के जरिए इनको जन्म दिलाया गया है. इनमें से दो नर हैं और एक मादा है. नर का जन्म 1 अक्टूबर 2024 को और मादा का जन्म 30 जनवरी 2025 को हुआ है.
कहां रखे गए हैं ये भेड़िए
कंपनी ने ऐसा दावा किया है कि उसने इन बच्चों को 2000 एकड़ की एक जगह पर रखा है. यहां पर 10 फीट ऊंची दीवार है, ड्रोन और कैमरे लगे हुए हैं जो कि उनकी निगरानी कर रहे हैं. इनको खाने में जानवरों के लिए बनाया खाना खिलाया जाता है. ये हिरण, घोड़े और गाय का मांस खाते हैं. दोनों नर वुल्फ अपने सबसे करीबी रिश्तेदार ग्रे वुल्फ के बच्चों से तकरीबन 20 से 25% बड़े हैं. कोलोसल का दावा है कि जब ये पूरी तरह से बड़े हो जाएंगे तो इनका वजन करीब 140 पाउंड तक हो जाएगा.
क्या डायनासोर भी हो सकते हैं जिंदा?
ऐसे में सवाल यह है कि क्या फिर विलुप्त हो चुके पुराने जानवर जैसे कि डायनासोर भी इस तकनीक के जरिए वापस आ सकेंगे. हालांकि इसको लेकर अभी संदेह है, क्योंकि वो करीब 66 मिलियन साल पहले विलुप्त हो गए थे. आज के वक्त में उनके डीएनए का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल है. लेकिन प्रकृति से इस तरीके से छेड़छाड़ करने को लेकर नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं.
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