दुनिया का रुख बदल देते थे इन मुस्लिम नेताओं के फैसले, सभी को दी गई थी सरेआम फांसी
दुनिया में समय के साथ बहुत कुछ बदलता रहता है. चलिए, आपको उन मुस्लिम नेताओं के बारे में बताते हैं जिनकी एक समय पर तूती बोलती थी, लेकिन बाद में सरेआम फांसी की सजा दी गई.

इतिहास में कुछ मुस्लिम नेता ऐसे भी हुए हैं जिनके फैसले और विचारों ने न केवल उनके देश की दिशा बदल दी, बल्कि पूरी दुनिया में उन्होंने राजनीति और सत्ता संतुलन को भी प्रभावित किया. ये नेता जहां आम जनता के बीच लोकप्रिय थे, वहीं सत्ता प्रतिष्ठानों के लिए खतरा भी बन गए. शायद यही वजह रही कि इन्हें सरेआम फांसी देकर मिसाल बना दिया गया. चलिए, आपको ऐसे ही मुस्लिम नेताओं के बारे में बताते हैं, जिनकी एक समय पर तूती बोलती थी. ठीक वैसे ही जैसे आज ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की तूती पूरी दुनिया में बोलती है.
तानाशाह सद्दाम हुसैन
इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का नाम इस लिस्ट में सबसे पहले आता है. इराक और ईरान का वॉर हो, अमेरिका के साथ दुश्मनी मोल लेनी हो, सद्दाम ने कभी भी पीछे कदम नहीं खींचे. उसने अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई और कुवैत पर आक्रमण किया. तानाशाह सद्दाम को 148 शियाओं के नरसंहार के लिए साल 2006 में फांसी पर लटकाया गया. सद्दाम की छवि ऐसी थी कि कई लोगों के लिए वह किसी मसीहा से कम नहीं था, जबकि अपने ही देश के एक समुदाय और कई दूसरे देशों के लिए वह किसी खूंखार तानाशाह से कम नहीं था. सद्दाम हुसैन के बारे में एक तरह से कह सकते हैं कि वह पश्चिमी देशों के लिए आतंक का पर्याय था और इराक के लिए ताकत का प्रतीक. उन्होंने तानाशाही के जरिए दशकों तक इराक पर राज किया, लेकिन अमेरिका से दुश्मनी ने उनकी सत्ता और जीवन दोनों को खत्म कर दिया, कुवैत पर हमला, नरसंहार और अमेरिका के साथ खींचतान, हर कदम उन्हें फांसी के फंदे के करीब ले गया. सद्दाम हुसैन ने 1990 के दशक में अपने खून से कुरान लिखवाई थी.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो
इस लिस्ट में दूसरे नम्बर पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का नाम आता है. एक समय में पाकिस्तान के सबसे ताकतवर नेता रहे जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी की सजा दी गई थी. हालांकि, आखिरी समय तक जुल्फिकार को लगता था कि उनको फांसी की सजा नहीं हो सकती लेकिन, उनकी एक गलती ने उनको फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया. पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय से लेकर विदेश मंत्रालय और फिर प्रधानमंत्री पद तक सफर करने वाले नवाब मोहम्मद अहमद खान कसूरी की हत्या के मामले में उन्हें फांसी की सजा हुई थी. जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी की सजा दिए जाने पर कई लोगों ने इसे गलत बताया था और कहा था कि भुट्टो को सही से न्याय नहीं मिला.
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Source: IOCL





















