इस धार्मिक स्थल पर जाकर मुस्लिम महिलाएं काटती हैं अपने बाल, ये होता है कारण
Hajj Rules For Muslim Women: मुसलमानों में जिंदगी में एक बार हज को अनिवार्य माना गया है, लेकिन इसे पूरे नियम के साथ करना होता है. इस दौरान महिलाओं और पुरुषों के लिए एक जरूरी नियम है.

इस्लाम में हर मुसलमान के लिए जिंदगी में एक बार हज करने का नियम जरूरी माना गया है. मुसलमानों में माना जाता है कि हर उस मुस्लिम को जीवन में कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए, जो कि शारीरिक और वित्तीय रूप से इसे करने में सक्षम हो. यह अल्लाह के करीब जाने का एक मौका होता है, जहां मुस्लिम आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होते हैं. इस बात हज यात्रा कल यानि 4 जून से शुरू हो रही है. इस्लाम में हज के साथ उमराह का भी जिक्र है. लेकिन क्या आपको पता है मुसलमान महिलाएं पवित्र काबा के चक्कर लगाने से पहले बाल कटवाती हैं और वे आखिर ऐसा क्यों करती हैं. चलिए जानें.
हज और उमराह में ये तीन चीजें जरूरी
हर साल दुनियाभर से लाखों मुस्लिम हज करने के लिए सऊदी अरब के शहर मक्का पहुंचते हैं. वहां पर वे पवित्र काबा के चक्कर लगाते हैं. लेकिन आपने यह भी देखा होगा कि मुस्लिम आदमी या औरतें काबा के चक्कर लगाने से पहले बाल जरूर कटवाते हैं. हज या उमराह के दौरान मुस्लिम काबा के सात चक्कर लगाते हैं. इसको तवाफ कहा जाता है. तवाफ काबा के एक कोने पर लगे काले रंग के पत्थर ‘हिज्र ए असवद’ से शुरू होता है. उमराह और हज के दौरान मुख्य रूप से तीन चीजें इहराम, तवाफ और सई करना जरूरी होता है.
क्या होता है इहराम, तवाफ और सई
इहराम वह होता है, जिसमें लोगों को सफेद रंग की एक बिना सिली हुई पोशाक पहननी होती है. इसमें दो सफेद रंग की चादरें होती हैं, जिसे शरीर पर लपेट लिया जाता है. वहीं तवाफ वह होता है, जिसमें मुस्लिमों को दाहिने पैर से काबा में घुसना होता है और इसके चारों ओर सात बार चक्कर लगाने होते हैं. इसके बाद आता है सई. इस दौरान मुसलमानों को सफा और मारवा की पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाने होते हैं. इसके बाद हल्क या तकसीर की जाती है.
बाल क्यों कटवाती हैं मुस्लिम महिलाएं
हल्क में मुसलमानों को अपना पूरा सिड मुंडवाना होता है, वहीं महिलाओं को सिर मुंडवाने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि वो अपने बालों को एक उंगली की लंबाई के बराबर काट सकती हैं. यानि लगभग एक इंच बाल काटना अनिवार्य होता है. कहा जाता है कि यह रस्म बहुत जरूरी होती है और बिना इस रस्म के हज मुकम्मल नहीं माना जाता है. बाल मुंडवाने के बाद तमाम हाजी काबा के चारों ओर इकट्ठे होते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं.
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