बांग्लादेश ने अपने नक्शे में दिखाए भारत के राज्य, इसके खिलाफ कहां अपील कर सकता है भारत?
मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को एक तोहफा दिया है, जिसने भारत-बांग्लादेश रिश्तों में नई खाई खोल दी है. अब सवाल यह है कि भारत इसके खिलाफ क्या कर सकता है.

ढाका में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक तस्वीर ने भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक माहौल को अचानक तनावपूर्ण बना दिया. बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ जनरल साहिर शमशाद मिर्जा से मुलाकात के दौरान एक किताब- Art of Triumph भेंट की. लेकिन उस किताब के कवर पर कुछ ऐसा दिखा जिसने सभी को चौंका दिया. नक्शे में भारत के सातों पूर्वोत्तर राज्य- असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया था. आइए जानें कि इसके खिलाफ भारत कहां अपील कर सकता है.
पुराने ग्रेटर बांग्लादेश के विचार को दी जा रही हवा
इस घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर सामने आया, पूरे भारत में आक्रोश फैल गया. कई विशेषज्ञों ने इसे एक कूटनीतिक उकसावे की तरह देखा, जबकि बांग्लादेश की ओर से कोई औपचारिक सफाई अभी तक नहीं आई है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम उस पुराने ग्रेटर बांग्लादेश के विचार को हवा देने जैसा है, जिसे कुछ इस्लामी कट्टरपंथी संगठन लंबे समय से प्रचारित करते रहे हैं.
बांग्लादेश का पाकिस्तान को विवादित तोहफा
बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख यूनुस की यह हरकत सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि आसियान देशों के बीच भी चर्चा का विषय बन गई है. माना जा रहा है कि ढाका इन दिनों पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में है. पाकिस्तान के जनरल की यह यात्रा और उसके दौरान दिया गया विवादित तोहफा इसी दिशा की ओर संकेत करता है.
भारत इस पर क्या कर सकता है?
अब सवाल उठता है कि भारत इस पर क्या कर सकता है? क्या इस तरह की घटना के खिलाफ कोई औपचारिक आपत्ति या अंतरराष्ट्रीय अपील दायर की जा सकती है? राजनयिकों की मानें तो भारत इस मामले में कई स्तरों पर कार्रवाई कर सकता है. सबसे पहले, विदेश मंत्रालय (MEA) बांग्लादेश के उच्चायुक्त को तलब कर औपचारिक आपत्ति दर्ज करा सकता है. इसके बाद, इस घटना की जानकारी संयुक्त राष्ट्र या क्षेत्रीय मंचों जैसे SAARC (सार्क) या BIMSTEC (बिम्सटेक) को भी दी जा सकती है.
भारत मांग सकता है स्पष्टीकरण
भारत के पास डिप्लोमैटिक नोट जारी करने का भी अधिकार है, जिसके तहत वह लिखित रूप में विरोध जताकर स्पष्टीकरण मांग सकता है. इसके अलावा, संसद में इस मुद्दे पर बहस भी संभव है ताकि इस तरह की सीमा विस्तार वाली सोच को खुलकर चुनौती दी जा सके. कानूनी तौर पर नक्शे में किसी दूसरे देश की जमीन को शामिल दिखाना अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन है. यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(4) का उल्लंघन माना जा सकता है, जो किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता में हस्तक्षेप को निषिद्ध करता है.
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Source: IOCL
























