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Lok Sabha Election: देश में सबसे कम समय तक कौन सी सरकार चली, आखिर कितने महीनों तक थी सरकार

देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जारी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे कम समय पर कौन सी सरकार चली थी. वहीं उस सरकार के दौरान देश के प्रधानमंत्री कौन थे?

 देश में 18 वीं लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरो-शोरो से जारी है. ये चुनाव तय करेगा कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन और किस दल का होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी के बाद देश में सबसे कम समय तक किस सरकार का कार्यकाल था. आज हम आपको बताएँगे कि सबसे कम दिन किस सरकार ने शासन किया है और उस वक्त देश के प्रधानमंत्री कौन थे. 

देश का पहला आम चुनाव 

बता दें कि अंग्रेजी राज से आजादी मिलने के बाद देश में पहली बार साल 1951-52 में आम चुनाव हुए थे. जिसके बाद लंबे समय तक कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार देश में बनती रही. लेकिन फिर एक ऐसा दौर आया, जब देश की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव दिखने को मिलते हैं. इस दौरान देश में गठबंधन की सरकारें बनती थी. इसी दौरान देश में एक सरकार ने सबसे कम समय तक शासन किया था. इस सरकार के मुखिया अटल बिहारी वाजपेयी थे. जिन्हें सदन में बहुमत ना मिल पाने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था.

जानिए कब बनी थी सरकार

बता दें कि साल 1996 में अप्रैल-मई में 11वीं लोकसभा के गठन के लिए देश में चुनाव हुए थे. नतीजा आने पर भाजपा, कांग्रेस के साथ किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. वहीं लोकसभा की 161 सीटें जीतकर भाजपा जरूर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी. वहीं इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि भाजपा कांग्रेस से ज्यादा सीटें लेकर लाई थी. इसके बावजूद सरकार बनाने में संकट खड़ा हो गया था. क्योंकि बीजेपी के पास भी सदन में बहुमत साबित करने के लायक सांसद पार्टी नहीं थे. 11वीं लोकसभा में कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई और उसको 140 सीटें मिली थीं. हालांकि इतने सांसदों के साथ उसने सरकार ना बनाने का फैसला किया था. 

बता दें कि यह वह दौर था जब चुनाव से पहले ही कांग्रेस के कई नेता अलग हो गए थे. उन नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी बना ली थी. एनडी तिवारी ने ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी), माधवराव सिंधिया ने मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस और जीके मूपनार की तमिल मनीला कांग्रेस बनाई थी. 11वीं लोकसभा का चुनाव हुआ तो इस बंटवारे का असर दिखा और ज्यादातर सीटें क्षेत्रीय पार्टियों के खाते में चली गई थी. कुल 543 में से 129 सीटें क्षेत्रीय दलों ने जीत ली थीं. इस चुनाव में कांग्रेस को बंटवारे का नुकसान उठाना पड़ा था.

13 दिनों में गिर गई थी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार

जानकारी के मुताबिक भले ही इस चुनाव में आठ राष्ट्रीय दल, 30 राज्यस्तरीय दलों समेत 171 पंजीकृत पार्टियों ने हिस्सा लिया था. कुल 13,952 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे. ऐसा पहली बार हुआ था कि उम्मीदवारों की संख्या 10 हजार के पार पहुंची थी. इसके बावजूद किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था. इसके बाद राष्ट्रपति ने लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में भाजपा ने सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को प्रधानमंत्री का पद संभाला था. हालांकि सिर्फ 13 दिनों में ही उनकी सरकार गिर गई थी.

देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने भी संभाली सत्ता

अटल बिहारी वाजपेयी के बाद जनता दल के नेता एचडी देवगौड़ा ने संयुक्त मोर्चा गठबंधन के दम पर 1 जून 1996 को नई सरकार बनाई थी. लेकिन वह भी सिर्फ 18 महीने तक ही सत्ता में रह पाए थे. क्योंकि 21 अप्रैल 1997 को इंद्र कुमार गुजराल ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. इंद्र कुमार देवगौड़ा के कार्यकाल में विदेश मंत्री थे. कांग्रेस पार्टी ने इस सरकार को बाहर से समर्थन दिया था, लेकिन लगभग 11 महीने ही उनकी भी सरकार चली थी. इसके बाद अंत में 1998 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े थे.

इसके बाद साल 1998 के चुनाव में एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए की सरकार बनाई थी. इस बार एनडीए में शामिल एआईएडीएम की मुखिया जयललिता ने विश्वास मत के दौरान भाजपा से समर्थन वापस ले लिया था. जिस कारण फिर से सरकार गिर गई थी. इसके बाद अगले साल यानी 1999 में 13 दलों से गठबंधन कर भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार बनाई थी. 13 अक्तूबर 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी ने शपथ ली थी. जिसके बाद उनकी सरकार ने कार्यकाल पूरा किया था. इस तरह से वह प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करनेवाले पहले गैर-कांग्रेसी पीएम बने थे. वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने दो कार्यकाल पूरा किया है.

 

ये भी पढ़ें: चुनाव में किन लोगों की लगती है ड्यूटी, नहीं करने पर इन नियमों के तहत होती है कार्रवाई

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