पिता दूसरी शादी करे तो क्या दूसरी बीवी को मिलेगी पारिवारिक पेंशन, जानें 'सौतेली मां' को लेकर क्या है नियम?
Rules For Step Mother Family Pension: सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मां की परिभाषा का दायरा बड़ा होना चाहिए. चलिए जानें कि आखिर कोर्ट ने ऐसे किसलिए कहा है.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मां शब्द की उदार व्याख्या की वकालत की है. जिससे कि पारिवारिक पेंशन समेत लाभ प्रदान करने में सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए सौतेली मां को भी शामिल किया जा सके. तीन जजों की बेंच ने केंद्र और भारतीय वायुसेना से कहा है कि नियमों में मां की परिभाषा को और उदार किए जाने की जरूरत है. जिससे कि पारिवारिक पेंशन समेत सामाजिक कल्याण योजनाों के लाभ के लिए सौतेली मां को भी इसमें शामिल किया जा सके.
चलिए जानें कि सुप्रीम कोर्ट क्यों कह रहा है कि मां की परिभाषा का दायरा बड़ा होना चाहिए. और अगर पिता दूसरी शादी कर ले तो क्या दूसरी बीवी को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं मिलता है. विस्तार से समझते हैं.
दूसरी पत्नी का पति की संपत्ति पर कितना अधिकार
कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी में है और उसकी मौत हो जाती है, तो उसकी दूसरी पत्नी न तो अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए हकदार होगी और न ही उसे पारिवारिक पेंशन मिलेगी. लेकिन अगर उसके बच्चे होंगे को उनको हक मिलेगा. यहां पर गौर करने की बात यह भी है कि अगर संतान लड़का हुआ तो बालिग होने तक उसे पेंशन मिलेगी, वहीं अगर संतान लड़की है तो फिर उसे शादी के पहले तक तो पेंशन का हक मिलेगा. वहीं अगर पहली पत्नी के जिंदा होते हुए पिता दूसरी शादी करते हैं तो दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन नहीं मिलती है. भले ही दूसरी पत्नी कानूनी रूप से विवाहित हो.
दूसरी पत्नी को कब मिल सकता है कानूनी हक
हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार अगर कोई शख्स दूसरी शादी तब करता है, जब उसकी पहली पत्नी की मौत हो गई हो, तब उस स्थिति में दोनों शादियों की तारीख व पहली पत्नी के निधन की तारीख को मिलाकर दूसरी पत्नी को दूसरी पत्नी को वो सभी अधिकार दिए जा सकते हैं. इस परिस्थिति में तो दूसरी पत्नी को पेंशन का भी अधिकार मिलता है और अन्य संपत्ति पर भी.
तलाक के मामले में भी यही स्थिति बनती है. अगर कोई शख्स पहली पत्नी से तलाक लेकर दूसरी शादी करता है तो उसकी दूसरी पत्नी को वो सब अधिकार मिलेंगे जो कि एक पत्नी को मिलते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा कि मां की परिभाषा का दायरा बड़ा हो
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जिसमें महिला ने अपने पति की पहली पत्नी की मौत के बाद उसके बच्चों का पालन-पोषण किया था. इसलिए वह पारिवारिक पेंशन की मांग कर रही थी. तब जस्टिस कांत ने केंद्र के वकील से यह सवाल किया कि अगर एक महीने के बच्चे की मां का निधन हो जाए और पिता दूसरी शादी करें तो क्या सौतेली मां वास्तविक मां नहीं मानी जाएंगी.
तब उन्होंने कहा कि कानूनन आप उनको सौतेली मां कह सकते हैं, लेकिन असल में वे मां ही हैं, क्योंकि पहले दिन से उन्होंने अपने बच्चे के लिए जीवन समर्पित कर दिया था. तब वकील ने भारतीय वायुसेना के नियम का हवाला देते हुए कहा कि मां की परिभाषा में सौतेली मां तो शामिल नहीं हैं. जस्टिस कांत का वकील से कहना था कि वे सौतेली मां की पेंशन या किसी अन्य लाभ को इसमें शामिल करने के लिए लचीला रुख अपनाएं. अदालत ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए मां की परिभाषा को उदार बनाए जाने की जरूरत है.
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Source: IOCL
























