Chandni Chowk Famous Sweet Shop: हाथी भेजकर चांदनी चौक की इस दुकान से मिठाई मंगवाते थे मुगल, इस नाम से आज भी मशहूर
Chandni Chowk Famous Sweet Shop: क्या आप जानते हैं कि दिल्ली की जिस मिठाई की दुकान से मुगल बादशाह हाथी भेजकर मिठाइयां मंगवाते थे, वह आज भी मशहूर है. हालांकि यह दुकान अब सिर्फ यादों में बची है.

Chandni Chowk Famous Sweet Shop: दिल्ली का चांदनी चौक इतिहास, संस्कृति और स्वाद का अद्भुत संगम है. इसकी गलियों में ऐसी-ऐसी कहानियां छिपी हैं, जो केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की शान रही हैं. इन्हीं कहानियों में एक नाम है मिठाई की दुकान का, जिसकी नींव 1790 में रखी गई थी. उस दौर में जब अमेरिका में जॉर्ज वॉशिंगटन राष्ट्रपति थे, फ्रांस में क्रांति की आंधी चल रही थी, वियना की गलियों में मोजार्ट का संगीत गूंज रहा था और दिल्ली पर मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय शासन कर रहे थे, उसी समय पुरानी दिल्ली में मिठास की यह कहानी शुरू हुई.
कैसे हुई इस दुकान की शुरुआत
दिल्ली के चांदनी चौक में इस मिठाई की दुकान का नाम है घंटेवाला. घंटेवाला की नींव लाला सुखलाल जैन ने रखी थी, जो आमेर से दिल्ली आए थे. शुरूआत में वे ठेले पर मिश्री-मावा बेचते और लोगों का ध्यान खींचने के लिए हाथ में घंटी बजाते हुए गली-गली मिठाई पहुंचाते थे. धीरे-धीरे उनकी मिठाइयों का स्वाद लोगों के दिलों में उतर गया और वे ‘घंटेवाला’ नाम से मशहूर हो गए. बाद में उन्होंने स्थायी दुकान खोली और वही नाम आगे बढ़ा.
नाम से जुड़ी अन्य कहानियां
घंटेवाला नाम के पीछे कई रोचक किस्से जुड़े हैं. कहा जाता है कि शाह आलम द्वितीय ने एक बार दरबारियों को घंटी के नीचे वाली दुकान से मिठाई लाने को कहा, जो बाद में संक्षिप्त होकर घंटेवाला कहलाया. दूसरी कहानी एक हाथी से जुड़ी है, जिसकी गर्दन पर बंधी घंटी की आवाज दुकान के सामने गूंजती थी, तब से लोग इसे ‘घंटेवाला’ कहने लगे.
मिठाइयों का शाही सफर
घंटेवाला की मिठाइयां आम लोगों से लेकर शाही महलों तक पहुंचती थीं. कहा जाता है कि मुगल बादशाह अपने दरबार के लिए इस दुकान से मिठाई मंगवाने के लिए हाथी तक भेजा करते थे. इनमें सबसे लोकप्रिय था सोहन हलवा, जिसने दुकान को पहचान दिलाई. इसके अलावा पिस्ता बर्फी, मोतीचूर के लड्डू, कलाकंद और कराची हलवा भी ग्राहकों की पसंद बने. मक्खन चूरा जैसे स्नैक्स भी यहां की खासियत थे.
ढाई सौ साल की विरासत
यह दुकान केवल मिठाई का अड्डा नहीं थी, बल्कि दिल्ली की विरासत का प्रतीक बन गई. चांदनी चौक की भीड़-भाड़ में घंटेवाला मिठाई एक अलग पहचान लिए खड़ी थी, लेकिन वक्त के साथ हालात बदले और 2015 में जैन परिवार के वंशज को आर्थिक और व्यावसायिक कारणों से इसे बंद करना पड़ा. इस तरह दो सदी से अधिक पुरानी मिठास का सिलसिला थम गया.
यह भी पढ़ें: किन्नर पर आ गया था इस मुस्लिम शासक का दिल, उसे बना लिया था अपनी रानी
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























