Muslim Ruler Fell In Love With Kinnar: किन्नर पर आ गया था इस मुस्लिम शासक का दिल, उसे बना लिया था अपनी रानी
Muslim Ruler Fell In Love With Kinnar: भारत में एक ऐसे मुस्लिम शासक रहे हैं, जिनको उस जमाने में किन्नर से मोहब्बत हो गई थी. किन्नर के लिए उनकी मोहब्बत इस कदर थी कि वे उनको रानी का दर्जा दे बैठे थे.

Muslim Ruler Fell In Love With Kinnar: भारतीय इतिहास में निजामों का नाम वैभव, वैभवशाली महलों और असीमित संपत्ति के लिए लिया जाता है. इन्हीं में से एक थे मीर उस्मान अली खान जो कि हैदराबाद रियासत के सातवें और अंतिम निजाम थे. उन्हें उनके दौर में दुनिया का सबसे अमीर आदमी कहा गया था. उनकी हीरों से जड़ी घड़ी और पोते के लिए हीरों से बने खिलौने की कहानियां खूब मशहूर हुईं.
लेकिन इस दौलत के पीछे छिपे उनके निजी जीवन का एक ऐसा पहलू भी है, जिसने सबको चौंका दिया था. यह कहानी जुड़ी है एक किन्नर से, जिन पर निजाम का दिल आ गया और जिन्हें उन्होंने रानी जैसा दर्जा दिया. चलिए इस बारे में विस्तार से जानें.
निजाम और उनकी सनक
मीर उस्मान अली खान जितने अमीर थे, उतने ही सनकी और अविश्वासी माने जाते थे. कहा जाता है कि वे अपने परिवार और यहां तक कि बेटों तक पर भरोसा नहीं करते थे. उन्हें हमेशा ऐसा लगता था कि हर कोई उनकी अपार संपत्ति के पीछे पड़ा हुआ है. यही कारण था कि वे ऐसे साथी की तलाश में थे, जो उनसे सिर्फ इंसानियत के नाते जुड़ा हो, न कि दौलत के लिए.
मुबारक बेगम की एंट्री
मुबारक बेगम, हैदराबाद के गोलकोंडा इलाके में रहने वाली एक किन्नर थीं. परंपरा के अनुसार उनका समुदाय शादियों और खुशी के मौकों पर आशीर्वाद देने, नाचने-गाने और दान मांगने का काम करता था. माना जाता है कि निजाम की उनसे पहली मुलाकात महल में किसी खास समारोह के दौरान हुई. मुबारक बेगम की सादगी, बेबाक अंदाज और मधुर स्वभाव ने निजाम का दिल जीत लिया. उन्होंने मुबारक बेगम को महल में रहने का न्योता दिया और धीरे-धीरे वह उनकी सबसे भरोसेमंद साथी बन गईं.
प्यार, भरोसा और रानी का दर्जा
कहते हैं कि निजाम को विश्वास था कि मुबारक बेगम उनसे बिना किसी स्वार्थ के जुड़ी हैं. उनके कोई वारिस न होने के कारण वे उनकी संपत्ति पर दावा भी नहीं कर सकती थीं. यही भरोसा निजाम को उनके करीब ले आया. मुबारक बेगम अपने हंसमुख स्वभाव, नृत्य और गीतों से निजाम के अकेलेपन को दूर करती थीं और उनकी देखभाल भी करती थीं. उस दौर में यह मान्यता भी थी कि किन्नरों का आशीर्वाद शुभ और फलदायी होता है. निजाम मानते थे कि उनका साथ उनके शासन और राज्य दोनों के लिए शुभ है.
इतिहासकारों की मानें तो निजाम ने मुबारक बेगम को कानूनी तौर पर पत्नी का दर्जा नहीं दिया था, क्योंकि इस्लामिक शरीयत में ऐसी शादी का प्रावधान नहीं है. लेकिन उन्होंने उन्हें ‘बेगम साहिबा’ की उपाधि दी, जो आमतौर पर शाही परिवार की रानी को दी जाती थी. उन्हें महल में रहने, निजी स्टाफ रखने और शाही सुविधाओं का पूरा अधिकार दिया गया था.
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